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देश के कुछ चुनिंदा राज्यों की तरह क्या उत्तराखंड में भी पुलिस कमिश्नरी एक्ट लागू होने जा रहा है। सवाल इसलिए अहम है कि प्रदेश पुलिस के कई वरिष्ठ अधिकारी इस एक्ट को लागू कराने के लिए हर संभव प्रयास कर रहे हैं। फाइल इससे पहले भी दो बार शासन में अटक चुकी है, हालांकि इस बार के प्रयास को लेकर महकमे के आलाधिकारी काफी उम्मीद से भरे हैं। एक्ट के लागू होने से पुलिस पावर के मामले में बेहद मजबूत हो जाएगी।

-शासन में चल रही है पुलिस कमिश्नरी एक्ट की फाइल

-महकमे के सीनियर ऑफिसर्स को एक्ट लागू होने की उम्मीद

-यूपी में 25 वर्षो से लागू नहीं हो पाया है यह एक्ट

-मुख्यमंत्री के पहल पर टिकी हैं स्टेट पुलिस की निगाहें

DEHRADUN : मुंबई, दिल्ली की तर्ज पर क्या अब राज्य में भी ज्वॉइंट कमिश्नर, डीसीपी और एसीपी कहे जाएंगे पुलिस ऑफिसर, प्रयास तो कुछ इसी दिशा में चल रहा है। दो बार फाइल शासन में लटकने के बाद इस बार किए जा रहे प्रयास को लेकर महकमा खासा उम्मीद लगाए बैठा है। सूत्रों की माने तो बीते कुछ दिनों के अंदर कमिश्नरी एक्ट को लागू कराए जाने के लिए गंभीर प्रयास किए गए हैं। सूत्र बताते हैं कि इस बार पुलिस के लिए रिस्पांस पॉजिटिव हैं, लेकिन शासन स्तर पर इसे लागू कराने के लिए क्या प्रयास होंगे इस पर पुलिस विभाग की निगाह टिकी हुई हैं।

पावरफुल हो जाएगी पुलिस

पुलिस कमिश्नरी एक्ट लागू होने के बाद पुलिस को प्रशासनिक ऑफिसर को कुछ महत्वपूर्ण पावर हासिल हो जाएंगे। जिसमें सबसे अहम मजिस्ट्रीयल पावर माना जा रहा है। पुलिस को किसी अराजक तत्व के खिलाफ गैंगेस्टर एक या गुंडा एक्ट के साथ जिला बदर के लिए प्रशासन का मुंह नहीं देखना होगा। इसके अलावा क्भ्क् की कार्यवाही में भी पुलिस को कार्यवाही के लिए मजिस्ट्रेट के पास नहीं जाना होगा। आ‌र्म्स लाइसेंस और बार लाइसेंस आदि के लिए भी पुलिस को पावर मिल जाएंगे। एक्स डीजीपी जेएस पांडेय के मुताबिक इस एक्ट के लिए पूर्व में भी प्रयास किए गए अगर, एक्ट लागू हो जाता है तो पुलिस के लिए काफी सहूलियत हो जाएगी।

शासन स्तर पर मिलनी है मंजूरी

सूत्रों की माने तो प्रदेश के पुलिस विभाग द्वारा पुलिस कमिश्नरी एक्ट को लागू कराए जाने के लिए पुरजोर प्रयास किया जा रहा है, हालांकि इसमें अभी कई पेंच भी हैं जिनसे पार पाना महकमे के लिए बड़ी चुनौती होगी। सूत्र बताते हैं कि आईएएस लॉबी इस एक्ट को लागू करने के पक्ष में नहीं है जिसके चलते पुलिस के समक्ष दिक्कत आ रही है। वहीं महकमे के एक सीनियर ऑफिसर ने नाम न छापने की शर्त पर बताया पिछली बार की तुलना में इस दफा उम्मीद अधिक है। हो सकता है सरकार इस बाबत जल्द ही कोई फैसला ले ले। इस स्ट्रक्चर में पुलिस कमिश्नर से लेकर डीसीपी तक सभी पावरफुल हो जाएंगे।

यूपी में नहीं लागू हो पाया एक्ट

देश के कुछ राज्यों की बात छोड़ दें तो पड़ोसी राज्य उत्तर-प्रदेश में भी यह एक्ट लागू नहीं हो पाया है। करीब ख्भ् वर्षो में इस एक्ट को लागू कराने के लिए वहां के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने पूरा जोर भी लगाया, लेकिन उनके प्रयास परवान नहीं चढ़ सके। इसके पीछे शासन स्तर पर रजामंदी का न बन पाना मुख्य कारण रहा। ऐसे में सवाल उत्तराखंड में भी उठ रहे हैं क्या इतनी आसानी से यहां पुलिस कमिश्नरी एक्ट लागू हो पाएगा या फाइल एक बार फिर से पेंडिंग ही रह जाएगी।

वर्जन-

पुलिस कमिश्नरी एक्ट अगर लागू हुई तो इसका लाभ पुलिस को जरूर मिलेगा। ऐसे सभी मामले में प्रशासन पर निर्भरता खत्म हो जाएगी, जिसके लिए ज्वॉइंट मजिस्ट्रेट या मजिस्ट्रेट के पास जाना पड़ता है।

-जेएस पांडेय, एक्स डीजीपी, उत्तराखंड