फर्जी मार्क्सशीट लगाकर कर रहे थे नौकरी
यूपीएसआरटीसी गोरखपुर रीजन में हुए फर्जी ढ़ंग से नियुक्ति के मामले को आईनेक्स्ट ने पहले ही 6 मई के एडीशन में 'संविदा कंडक्टर्स की भर्ती में खेल' शीर्षक नाम से पब्लिश किया था। इस खबर के पब्लिश होने के बाद यूपीएसआरटीसी की जांच कमेटी लगातार चेकिंग कर रही थी। चेकिंग के दौरान गोरखपुर डिपो के पांच संविदा कंडक्टर मिले जो एनसीसी की फर्जी मार्क्सशीट लगाकर नौकरी कर रहे थे वहीं देवरिया डिपो में करीब 10 कंडक्टर्स ऐसे निकले जो आईटीआई की फर्जी मार्क्सशीट लगाकर नौकरी कर रहे थे। जब जांच कमेटी ने इनके इंस्टीट्यूट्स में पूछताछ की तो संस्थान ने इन्हें अपने यहां का स्टूडेंट नहीं बताया।

सवालों के घेरे में रोडवेज क्लर्क
अब सवाल यह उठता है कि गोरखपुर रीजन में जब  60-70 संविदा कंडक्टरों की भर्ती की गई थी उसी वक्त रोडवेज अधिकारियों ने इन लोगों के डाक्यूमेंट्स की वेरीफिकेशन क्यों नहीं की गई। भर्ती प्रक्रिया के रूल के मुताबिक, संविदा पर होने वाली भर्ती से पहले नियुक्ति कमेटी को एप्लिकेंट्स के डॉक्यूमेंट्स की जांच करनी चाहिए थी जबकि ऐसा नहीं किया गया। दरअसल, गोरखपुर रीजन में संविदा पर कंडक्टरों की कमी थी जिसके चलते यूपीएसआरटीसी मैनेजमेंट ने गोरखपुर रीजन में आईटीआई, डीसीए, भूतपूर्व सैनिक, रिटायर्ड कर्मचारी के बेटों और पीआरडी के जवानों के लिए वैकेंसी निकाली थी। वहीं सोर्सेज की मानें तो निचलौल डिपो में करीब दर्जन भर ऐसे पीआरडी जवान हैं जो फर्जी मार्क्सशीट लगाकर नौकरी कर रहे हैं।

अब बारी है रोडवेज अधिकारी की
यूपीएसआरीटीसी मैनेजमेंट की जांच कमेटी की माने तो संविदा परिचालकों के मामले से जुड़े रोडवेज अधिकारियों के खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई है। वहीं जांच कमेटी के एक मेंबर ने बताया कि गोरखपुर रीजनल ऑफिस के कई ऐसे क्लर्क हैं जिनसे भी पूछताछ की जाएगी, नियुक्ति से संबंधित सारी चीजों की रिपोर्ट ली जाएगी। जो भी इस मामले इंवॉल्व पाया जाएगा उसके खिलाफ कार्रवाई तय है।

संविदा परिचालकों की भर्ती में हुए खेल की जांच अभी जारी है। गोरखपुर डिपो से 5 और देवरिया डिपो से 10 लोग फर्जी डिग्री लगाकर नौकरी करते पाए गए। इनकी संविदा समाप्त कर लीगल कार्रवाई कराई जाएगी। इसके अलावा इस मामले में जो भी कलर्क शामिल होगा उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
अतुल जैन, आरएम, गोरखपुर रीजन यूपीएसआरटीसी

 

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