मौसम विभाग का कहना है कि प्रशांत क्षेत्र में बदलता सिस्टम मानसून के संचालन पर असर डाल सकता है। बावजूद इसके कि वैश्विक वर्षा सामान्य है पर प्रशांत क्षेत्र में सक्रियता बढ़ने के कारण अब मानसून कमजोर हो गया है। देश में जून में 16 प्रतिशत अतिरिक्त वर्षा दर्ज की गई थी। इसके पश्चात  दक्षिण-पश्चिम मानसून पिछले 10 दिनों के लिए एक कमजोर चरण में चला गया। हालाकि 1 जून से 5 जुलाई के बीच, भारत में सामान्यष 206.7 मिमी वर्षा की तुलना में 207.8 मिमी अधिक बारिश हुई है।

मौसम विभाग ने कहा कि ये यह एक एल नीनो वर्ष है और प्रशांत क्षेत्र में सक्रिय है, जाहिर है कि मानसून के संचालन पर असर होगा। यही कारण है कि इस सीजन में मई, जून और 6 जुलाई तक जहां भी बारिश हुई है वह छितराई हुई हल्की बारिश हुई है। हालांकि जुलाई के प्रथम सप्ताह में मानसून की दस्तक हो चुकी है पर मौसम विभाग की आशंका की वजह से इलाके में किसानों की चिंता बढ़ती जा रही है। बारिश कम होने की स्थिति में श्रावणी की फसल का उत्पादन कम हो सकता है।

वैसे आईएमडी को अगले 10 दिनों के लिए उम्मीद है कि मानसून ज्यादातर उत्तर और पूर्व के ऊपर सक्रिय हो जाएगा। पर विभाग की सलाह है कि जब ये तय है कि अलनीनो अपना असर तो दिखाएगा ही तो सावधनी बरतनी चाहिए। इसलिए उनकी किसानों को सलाह है कि वे अल्पकालिक फसलों जिन्हें कम पानी की आवश्यकता होती है उन पर ध्यान दें।

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