एक स्टील फोटोग्राफर
11 दिसंबर 1922 को जन्मे अभिनेता दिलीप कुमार की शादी की 25 वीं सालगिरह थी। स्क्रीन के लिए उस अवसर का फोटो लेना था। मुझे असाइनमेंट मिल गया। दिलीप साहब और सायरा बानो दोनों मेरे नाम से सहमत थे। वह फोटोग्राफ स्क्रीन में छपा। वह फोटोग्राफ उन्हें इतना पसंद आया कि उन्होंने कहा कि लाइफ साइज फोटो चाहिए। उसे लाइफ साइज इनलार्ज करवाने के लिए मैं मुंबई के मशहूर स्टूइडियो फोटोग्राफर मित्र बेदी और विशाल भेंडे के पास गया। उनके पास उसकी सुविधा नहीं थी।फिर दादर का एक स्टील फोटोग्राफर मिला। उसने कहा कि वह इनलार्ज इकर देगा। उन दिनों वन ट्वेंटी का रील होता था। उसे इनलार्जर में डाल कर वॉल के ऊपर प्रोजेक्टर करना पड़ा। उसे डेवलप करने में एक दिन और एक रात समय लगा।
ट्रक में लाना पड़ा
मैंने दिलीप साहब को दिखाया तो उसे लैमिनेट करने की बात उठी। मुझे मुंबई में लैमिनेट करने वाला कोई नहीं मिला। पता करने पर मालूम हुआ कि भिवंडी में कोई एक फैक्ट्री है,जहां लाइफ साइज लैमिनेशन हो सकता है। यहां से तो रोल कर के ले गया। प्रॉब्लम लैमिनेट होने के बाद हुआ। लैमिनेट करने के बाद रोल नहीं कर सकते थे। वहां से ट्रक में लाना पड़ा। पाली हिल बंगले में आखिर वह फोटोग्राफ पहुंचा। अभी भी उनके हॉल में वह पोट्रेट है। अभी जो लोग दिलीप साहब से मिलने आते हैं,उन सभी से दिलीप साहब की मुलाकात नहीं होती। वे यादगार के तौर पर उसी पोट्रेट के पास तस्वीर लेकर चले जाते हैं। एक बार तो मैंने भी अपनी तस्वीर उस पोट्रेट के साथ ली।
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