RANCHI: यहां सब है। गीत, नृत्य और संगीत और इनके बीच आकार लेता अभिनय भी। यह रांची यूनिवर्सिटी का इकलौता डिपार्टमेंट है, जहां दाखिला ऑडिशन से होता है। यह है रांची यूनिवर्सिटी का परफोर्मिग एंड फाइन आर्ट डिपार्टमेंट। यहां पीजी के तीन कोर्स कराए जाते हैं, जिनमें एमए इन थियेटर आर्ट, एमए इन डांस और एमए इन म्यूजिक की पढ़ाई होती है। डायरेक्टर डॉ अजय मलकानी हैं। उन्होंने बताया कि यहां दाखिले से अधिक विद्यार्थी अप्लाई करते हैं, पर ऑडिशन में योग्य पाये जाने पर ही उनका एडमिशन होता है।

थिएटर आर्ट में ज्यादा स्टूडेंट्स

श्री मलकानी ने बताया कि डिपार्टमेंट में फ‌र्स्ट और थर्ड सेमेस्टर मिलाकर ब्0 स्टूडेंट्स हैं। इसमें फ‌र्स्ट सेमेस्टर के क्भ् और थर्ड सेमेस्टर के ख्भ् स्टूडेंट्स शामिल हैं। वहीं डांस में पांच और म्यूजिक में छह स्टूडेंट्स नामांकित हैं। यहां म्यूजिक में परमानेंट फैकल्टी के तौर पर डॉ श्रद्धा श्रीवास्तव हैं, वहीं गेस्ट फैकल्टी के तौर पर मृणालिनी अखौरी हैं।

प्रस्ताव रेग्युलर डिपार्टमेंट का था

उन्होंने बताया कि इसे रेग्यूलर डिपार्टमेंट के रूप में शुरू करने का प्रपोजल था, पर इसे वोकेशनल कोर्स के रूप में शुरू किया गया। इसे यूनिवर्सिटी से कोई अनुदान नहीं मिलता। स्टूडेंट्स जो फीस देते हैं उसी से विभाग चलता है। शुरुआत में आरयू ने इसे पांच लाख रुपए की ग्रांट दी थी और उसी से फर्नीचर समेत अन्य चीजों की खरीदारी की गई।

सेल्फ फाइनांस है सभी कोर्स

यह सेल्फ फाइनांस कोर्स है और यहां प्रति सेमेस्टर क्0 हजार रुपए कोर्स फीस है। दो साल में कुल चार सेमेस्टर होते हैं, ब्0 हजार में डिग्री की पढ़ाई पूरी हो जाती है। यहां थिएटर आर्ट में नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा सिक्किम के कलाकार विपिन कुमार अभिनय सिखाते हैं। वहीं वायस एंड स्पीच में गेस्ट फैकल्टी अमित बनर्जी और डॉ सुशील अंकन हैं।

क्यों खास है यह डिपार्टमेंट

डिपार्टमेंट के वायस एंड स्पीच फैकल्टी डॉ सुशील अंकन ने बताया कि परफोर्मिग एंड फाइन आर्ट डिपार्टमेंट खास है। झारखंड में पहली बार इन विषयों की पढ़ाई शुरू हुई है। विभाग खुलने से वैसे हजारों छात्र जो चित्रकारी सीखने शांतिनिकेतन जाते थे और संगीत सीखने बीएचयू और दिल्ली जाते थे, उन्हें यहीं उस विषय की डिग्री और तालीम दोनों मिल जाएगी। फुल फ्लेज्ड यह डिपार्टमेंट चले और यहां परमानेंट फैकल्टी हों तो यह डिपार्टमेंट झारखंड का गौरव होगा, क्योंकि झारखंड कलाओं का धनी प्रदेश है।

वर्जन-

परफोर्रि्मग एंड फाइन आर्ट डिपार्टमेंट में जिन विषयों की पढ़ाई होती है, वो प्रैक्टिकल ओरिएंटेड कोर्स हैं। इसलिए इसमें दाखिला ऑडिशन और इंटरव्यू से होता है। झारखंड से हर साल दस हजार से अधिक बच्चे एक्टिंग और अन्य कलाएं सीखने मुंबई और कोलकाता जैसे शहरों में जाते हैं। इसे सुविधाएं मिलें, तो झारखंड के बच्चों के कलाकार बनने का सपना साकार करने में यह मददगार होगा।

-डॉ अजय मलकानी, डायरेक्टर

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झारखंड एक सांस्कृतिक रूप से समृद्ध प्रदेश है। यहां परफोर्रि्मग एंड फाइन आर्ट डिपार्टमेंट शुरू होना शुभ संकेत हैं। अभी किसी को चित्रकारी सीखनी होती है, तो वह शांतिनिकेतन जाता है और म्यूजिक सीखना हो तो बीएचयू। जब यहीं सारी पढ़ाई होगी, तो छात्रों को दूर नहीं जाना होगा। यहां फैकल्टी की कमी दूर हो और रेग्यूलर यह डिपार्टमेंट चले, तो झारखंड के कलाकारों को उड़ान भरने का मौका मिलेगा।

-डॉ सुशील अंकन, गेस्ट फैकल्टी