आगरा। एडीए का खेल भी निराला है। शह देने का भी वसूला जाता है और फिर मात देने के बाद भी वसूली की जाती है। एडीए अधिकारियों को यह खेल उतना ही अच्छा लगता है, जितना लोगों को क्रिकेट का खेल। फर्क सिर्फ इतना है कि क्रिकेट के खेल को देश के सम्मान के साथ देखा जाता है और एडीए का खेल इससे बिल्कुल ही विपरीत है।

पर्यावरण एनओसी के नाम पर वसूली का खेल शुरू

दयालबाग क्षेत्र में पुष्पांजलि हाइट्स, सीजंस, मंगलम शिला और अपर्णा रिवर व्यू को पर्यावरण एनओसी न होने के कारण सीलिंग की कार्रवाई कर दी गई है। एडीए सूत्रों के मुताबिक अब इन बिल्डरों को सील खुलवाने का रास्ता बताया जा रहा है, इसके लिए उनसे सौदा किया जा रहा है। यहीं है एडीए का पहले सह फिर मात दिए जाने वाला खेल। दबी जुबान से बिल्डर एडीए अधिकारियों की घोर निंदा कर रहे हैं, लेकिन सामने बोलने की हिम्मत नहीं जुटा रहे हैं। बिल्डर इस बात को अच्छी तरह जान रहे हैं कि एडीए ही उन्हें रास्ता बताएगा, लेकिन इसके लिए उन्हें फीस देनी होगी।

अभी क्यों आई सीलिंग की याद

एडीए के लिए सीलिंग की कार्रवाई करना कोई नई बात नहीं है। अभी तक एडीए सैकड़ों सीलिंग की कार्रवाई किसी न किसी कारण से करता आया है, लेकिन अंतिम परिणाम यही रहा है कि कुछ समय बाद सील खोल दी जाती है। एडीए द्वारा की जाने वाली सीलिंग की कार्रवाई हमेशा सवालों के घेरे में बने रहती है।

एनजीटी के डंडे के बाद हरकत में आए हैं अधिकारी

अभी तक सबकुछ सही चल रहा था। अचानक एनजीटी ने प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही एडीए को डंडा कर दिया। जब गर्दन पर बन आई तो कुछ बिल्डिंग के विरुद्ध कार्रवाई कर अपनी सजगता दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है। चहेते अधिकारी व कर्मचारियों को बचाने का चल रहा है खेल

यमुना पर अतिक्रमण कराने वाले दोषी अधिकारियों की सूची बनाई जा रही है। यमुना के डूब क्षेत्र में जिस वक्त निर्माण कराए गए थे, उस वक्त तैनात अधिकारियों की सूची तैयार की जा रही है। इस सूची को एनजीटी के सामने रखा जा सकता है। इस सूची से उन अधिकारी व कर्मचारियों को बचाए जाने के भरसक प्रयास किए जा रहे हैं, जो फंस सकते हैं। इस बात की चर्चा एडीए में सुनी जा सकती है।