RANCHI : झारखंड में गवर्नमेंट मशीनरी किस तरह काम कर रही है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि कुछ ब्यूरोक्रेट्स के पास जरूरत से ज्यादा जवाबदेही है तो कुछ के पास कुछ कम जिम्मेवारी है। प्रदेश में अधिकारियों की भी कमी है। कुछ आईएएस अधिकारियों को उनके विभाग के अलावे कई अन्य डिपार्टमेंट प्रभार में दिए गए हैं। यहां छह चीफ सेक्त्रेटरी रैंक के ऑफिसर्स में से चार अधिकारी एडिशनल चार्ज की जवाबदेही में हैं। ब्यूरोक्रेसी का यह स्ट्रक्चर राज्य के विकास में कहीं न कहीं रोड़ा डाल रहा है।

विभागों को नहीं दे पाते वक्त

जिन अधिकारियों के पास एडिशनल चार्ज है, वे सभी विभागों को समय नहीं दे पा रहे हैं। ज्यादा जिम्मेदारी मिलने से वे अपने जिम्मे के विभागों में बैठ नहीं पा रहे हैं, जिससे काम प्रभावित हो रही है। सीएम के सचिव सुनील वर्णवाल का दफ्तर प्रोजेक्ट बिल्डिंग स्थित सचिवालय में है, लेकिन उद्योग व खान विभाग का एडिशनल चार्ज होने की वजह से एक ऑफिस नेपाल हाउस सचिवालय में स्थित है। रांची कमिश्नरी के कमिश्नर डॉ प्रदीप कुमार के जिम्मे चार कमिश्नरी का प्रभार है। ऐसे में चाहकर भी वे हर कमिश्नरी का काम समय पर नहीं पूरा कर सकते हैं।

प्रभावित होता है काम

एक अधिकारी के जिम्मे ज्यादा विभागों का एडिशनल चार्ज होने से काम की गति पर असर पड़ना लाजिमी है। डेली रूटीन के काम निपटाने में ही अधिकारियों का वक्त निकल जाता है। इसके बाद भी कई काम पेंडिंग रह जाते हैं। कुछ अधिकारियों ने ज्यादा व्यस्तता को देखते हुए अपने अधीन के काम अन्य अधिकारियों के जिम्मे जरूर दे दी है, लेकिन पॉलिसी से जुड़े मामलों में अंतत: उन्हें ही फैसला लेना होता है। ऐसे में कई बार नीतिगत मामलों में निर्णय लेने में विलंब भी हो जाता है, जिसका असर विकास पर पड़ता है

अधिकारियों की प्रभावित होती है कार्य क्षमता

राज्य के एक सीनियर आईएएस अधिकारी ने बताया कि जिस अधिकारी के पास ज्यादा विभागों की जवाबदेही होती है, उनके कार्य करने की क्षमता भी ज्यादा प्रभावित होती है। ज्यादा व्यस्तता होने की वजह से वे काम पर जितना वक्त देना चाहिए, वह नहीं दे पाते हैं। उन्होंने बताया कि जिस अधिकारी के पास तीन-चार विभागों की जिम्मेदारी होती है, उनका वक्त सिर्फ मीटिंग बुलाने अथवा शामिल होने में ही निकल जाता है। ऐसे में वे विकास से जुड़े मामलों की प्लानिंग के लिए कैसे समय निकाल पाएंगे, सहज ही समझा जा सकता है।

प्रभार में चल रहे हैं 12 डिपार्टमेंट

झारखंड में 12 से अधिक सरकारी डिपार्टमेंट ऐसे हैं जो प्रभार में चल रहे हैं। इसमें कैबिनेट, आईटी, रोड कंस्ट्रक्शन, बिल्डिंग कंस्ट्रक्शन, फाइनेंस एंड प्लानिंग और हायर एजुकेशन जैसे महत्वपूर्ण डिपार्टमेंट शामिल हैं। इतना ही नहीं यहां 217 आईएएस अधिकारियों के पोस्ट है। उनकी जगह 150 ऑफिसर्स काम कर रहे हैं। ऐसे में कई अधिकारियों को अपने डिपार्टमेंट के अलावे अन्य विभागों का एडिशनल चार्ज भी दिया गया है।

जिन अधिकारियों के पास है ज्यादा जवाबदेही

अधिकारी विभाग

सुनील कुमार वर्णवाल सीएम के सचिव, आईटी विभाग, उद्योग विभाग, खान विभाग, चेयरमैन जेएमडीसी

संजय कुमार - मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव, प्रधान सचिव सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग

अमित खरे - विकास आयुक्त और वित एवं योजना विकास विभाग

केके खंडेलवाल - प्रधान सचिव वाणिज्यकर विभाग, आयुक्त वाणिज्यकर विभाग, प्रधान सचिव परिवहन विभाग, आयुक्त परिवहन विभाग

सुखदेव सिंह- प्रधान सचिव वन पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन, प्रधान सचिव जल संसाधन विभाग।

कमल किशोर सोन - सचिव भू -राजस्व, सचिव भवन निर्माण।

डॉ प्रदीप कुमार, आयुक्त दक्षिणी छोटानागपुर, उतरी छोटानागपुर, पलामू और कोल्हान प्रमंडल।

अबु बकर सिद्दकी - डायरेक्टर माइंस, और एमडी जेएसएमडीसी