JAMSHEDPUR: टोटेमिक कुड़मी को अनुसूचित जनजाति की सूची में शामिल करने, सरना धर्म कॉलम लागू करने और कुड़माली भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की मांग पर आदिवासी कुड़मी समाज नवंबर में दिल्ली में आंदोलन करेगा। आंदोलन के तहत पहले दिन 19 नवंबर को दिल्ली चलो और 21 व 22 नवंबर को दिल्ली में माहुड़ डंड़ आगुआन कार्यक्रम आयोजित किया जाएगा। इसकी तैयारियों की चर्चा शनिवार को सोनारी स्थित शहीद निर्मल भवन में आदिवासी कुड़मी समाज की ओर से आयोजित दो दिवसीय सम्मेलन में की गई।

शनिवार को सम्मेलन का शुभारंभ कुड़मी महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पित कर और नेहर गीत गाकर किया गया। सम्मेलन के प्रथम दिन मुख्य वक्ता के रुप में उपस्थित आकुस के संयोजक अजीत प्रसाद महतो (पुरुलिया) ने झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से 40-50 हजार कुड़मियों के शामिल होने की बात कही। उन्होंने कहा कि समाज के प्रमुख मांगों के समर्थन में होने वाले आंदोलन को लेकर समाज के युवाओं मे खासा उत्साह है।

आंदोलन को सफल बनाएं

सम्मेलन के मुख्य अतिथि आकुस के केंद्रीय अध्यक्ष डॉ। विद्याभूषण महतो ने आंदोलन को समाजहित में सफल बनाने के लिए संपूर्ण समाज से बढ़ चढ़कर हिस्सा लेने की अपील की। पुरूलिया से आए निपेन महतो ने दिल्ली में होने वाले आंदोलन की रूपरेखा की जानकारी दी। मौके पर आस्तिक महतो ने समाज से इस आंदोलन के लिए सहयोग की अपील की।

इन्होंने भी किया संबोधित

सम्मेलन को चक्रधरपुर से शामिल हुए ओमप्रकाश बंसरिआर, धनबाद से अरविंद पुनरिआर, बोकारो से दीपक पुनरिआर, रामगढ़ से बैजनाथ महतो, रांची से छोटेलाल महतो, पूर्वी सिंहभूम से जयराम महतो, सरायकेला खरसवां से प्रसेनजीत महतो, राउरकेला से पद्यलोचन महतो, करंजिया से चंडी प्रसाद महतो आदि समेत कई अन्य वक्ताओं ने अपना विचार रखा।

बंगाल-ओडिशा के आए प्रतिनिधि

शनिवार को अधिवक्ता सुनील कुमार महतो ने सम्मेलन का सार रखा। सम्मेलन के पहले दिन के कार्यक्रमों का संचालन महादेव डुंगरिआर ने किया। सम्मेलन में झारखंड के अलावा पश्चिम बंगाल और ओडिशा से कई प्रतिनिधि और सदस्य शामिल हुए। रविवार को सम्मेलन के दूसरे दिन आदिवासी कुड़मी समाज के केंद्रीय समिति का गठन किया जाएगा।