- सांस्कृतिक संकुल में पर्यटकों को मिलेगा नया अनुभव

- लगेंगे क्राफ्ट और प्रसिद्ध जायकों के स्टॉल

- हर शाम होगा कल्चरल प्रोग्राम, मिलेगी हर जानकारी

वाराणसी समेत पूर्वाचल के अन्य जिलों की प्रसिद्ध कारीगरी, स्वाद और लोककलाओं की जानकारी के लिए अब पर्यटकों को भटकना नहीं पड़ेगा। कम समय के लिए वाराणसी आने वाले पर्यटक को एक ही छत के नीचे इन सभी चीजों से रुबरु होंगे। इसके साथ ही अपने पसंद के क्राफ्ट, मसालों और अन्य चीजों की खरीदारी भी कर सकेंगे। कमिश्नर दीपक अग्रवाल की पहल पर यह व्यवस्था चौकाघाट स्थित सांस्कृतिक संकुल में होने जा रही है।

दुनिया चखेगी, तारीफ मिलेगी

देश-विदेश के टूरिस्ट्स को लुभाने के लिए काशी और आसपास के इलाकों का हर जायका संकुल में एक ही स्थान पर पर्यटकों तक पहुंचाया जाएगा। कमिश्नर ने वीडीए को निर्देश दिए है कि सांस्कृतिक संकुल में स्थान का चयन करें और वहां कारीगरों के स्टॉल लगाने की व्यवस्था कराएं। इस काम के लिए वीडीए को 10 दिन का समय दिया गया है। कमिश्नर ने कहा कि यहां एक ही छत के नीचे वाराणसी और आसपास के जिलों की सभी कला विधाएं, पॉटरी और विशिष्ट पाककलाओं के स्टॉल लगवाएं, जिससे दुनिया एक ही जगह सबकुछ देख सके और कारीगरों को उचित सम्मान मिले।

जीआई प्रोडक्ट की लगेगी प्रदर्शनी

योजना के मुताबिक संकुल में बनारस के जीआई प्रोडक्ट्स की प्रदर्शनी लगाई जाएगी। इसमें बनारसी साड़ी, बनारसी ब्रोकेड, भदोही की कालीन, बनारसी गुलाबी मीनाकारी, बनारस के लकड़ी के बर्तन और खिलौने, मिर्जापुरी दरी, निजामाबाद की ब्लैक पॉटरी, बनारसी मेटल क्राफ्ट, नकली मोती, गाजीपुर के जूट के पर्दे और सॉफ्ट स्टोन। इनके अलावा चुनार के पत्थर, बनारसी जरदोजी, चुनार की क्रॉकरी, बनारसी शहनाई और तबला आदि के स्टॉल भी लगेंगे। जायकों में बलिया के प्रसिद्ध बाटी-चोखा, अचार, आलू पापड़, सतुआ की लस्सी, बनारसी घाठी और लिट्टी, बनारसी पान आदि भी यहां उपलब्ध होगा।

हर शाम सजेगी महफिल

संकुल के ओपन एयर थिएटर में इसके साथ ही हर शाम लोककलाओं का प्रदर्शन भी किया जाएगा। इसमें मंचकला, गीत-संगीत के अलावा बिरहा जैसी पारंपरिक कलाएं भी शामिल की जाएंगी। कमिश्नर ने कहा कि प्रयास यह है कि एक ही छत के नीचे पर्यटक पूर्वाचल की खास बातों के बारे में पूरी जानकारी पा लें।

बयान

वीडीए को सांस्कृतिक संकुल में स्थान चयन का निर्देश दिया गया है। जल्द ही बाहर से आने वाले पर्यटकों को एक छत के नीचे हर कला और जायका एक साथ मिल सकेगा।

दीपक अग्रवाल, कमिश्नर वाराणसी