विलुप्त होती गौरैया के संरक्षण के लिए आगे आया जिला प्रशासन

शहर के सौ स्थानों पर लगाए गए nest box और water pots

ALLAHABAD: बचपन में हमारे आंगन और छत पर अठखेलियां करती गौरैया अब विलुप्त होने की कगार पर है। ऐसा ही रहा तो आने वाले कुछ सालों में पक्षियों की इस प्रजाति को देखने के लिए आंखें तरस जाएंगी। यही कारण है कि गौरैया संरक्षण का बीड़ा जिला प्रशासन ने उठाया है। वन विभाग के सहयोग से विश्व गौरैया दिवस के उपलक्ष्य में जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है। इसके तहत शहर के सौ स्थानों पर नेस्ट बॉक्स (गौरैया के रहने का बॉक्स) और वाटर पॉट्स (चिडि़यों के पानी पीने का बरतन)) रखवाया जा रहा है। इसके अलावा तमाम एक्टिविटीज आयोजित कर लोगों को गौरैया को बचाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है।

सिग्नेचर कैंपेन भी चलाएंगे

बीस मार्च को विश्व गौरैया दिवस मनाया जा रहा है। जिला प्रशासन ने गौरैया संरक्षण के लिए जागरुकता अभियान शुरू किया है। इसके तहत शनिवार को मिंटो पार्क में सिग्नेचर कैंपेन चलाया गया। इसमें भारी संख्या में लोगों ने पार्टिसिपेट किया। शहर के सौ स्थानों जैसे पार्क व बगीचों आदि पर नेस्ट बॉक्स और वाटर पाट्स लगाकर लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित किया गया है। शुक्रवार को इलाहाबाद विवि में गौरैया संरक्षण पर संगोष्ठी और सिग्नेचर कैंपेन चलाया गया था। रविवार को मिंटो पार्क में स्लोगन एवं पेंटिंग प्रतियोगिता का आयोजन किया जाएगा। इसी क्रम में शनिवार को डीएम संजय कुमार ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस डीबी भोसले, जस्टिस दिलीप गुप्ता और जस्टिस एके मिश्रा को नेस्ट बॉक्स भेंट किया। डिस्ट्रिक्ट फारेस्ट ऑफिसर ने बताया कि आम जनता से अपने घरों में पक्षियों के लिए नेस्ट बॉक्स और वाटर पाट्स रखने की अपील की जा रही है। उन्होंने कहा कि इस अभियान में यदि स्कूल-कॉलेज हिस्सा लेना चाहते हैं तो वन विभाग से संपर्क कर सकते हैं।

क्यों विलुप्त हो रही है

हमारे घरों में रहने वाली गौरैया को आधुनिक भवनों में ठिकाना नहीं मिल रहा।

काकून, धान, बाजरा और पके चावल खाने वाली गौरैया को प्राकृतिक भोजन के स्त्रोत नहीं मिल रहे।

मोबाइल टावरों से निकले वाली इलेक्ट्रोमैग्नेटिक किरणों से गौरैया की प्रजनन क्षमता खत्म हो रही है।

पेड़ों की कटाई भी गौरैया के विलुप्त होने का अहम कारण है।

कैसे कर सकते हैं संरक्षण

अपने घरों में बने घोंसला का संरक्षण गौरैया के खाने-पीने की व्यवस्था करें।

घरों या बगीचे में लकड़ी के गौरैया के रहने का बॉक्स बना सकते हैं।

कीट नाशकों के प्रयोग पर रोक लगानी होगी।

गौरैया के प्रजनन के समय अंडों की सुरक्षा व दाने पानी का उचित प्रबंध करें।

अपने बच्चों को गौरैया के महत्व के बारे में जरूर बताएं।

गौरैया हमारे साथ रहना चाहती है लेकिन आधुनिक भवनों में उसको घोंसला बनाने की जगह नहीं मिल रही। पर्यावरण में बढ़ते प्रदूषण की वजह से भी गौरैया की प्रजाति नष्ट हो रही है। अब समय आ गया है कि हम इसके संरक्षण के लिए प्रति जागरुक हों।

संजय कुमार, डीएम