ये है मामला

दरअसल, शासन के निर्देश पर डीएम ने सीएमओ को जांच के आदेश दिए थे। जिसके तहत बृहस्पतिवार को सीएमओ ने 15 सेंटरों को नोटिस जारी किया है। नोटिस में रेडियोलॉजी सेंटरों को पूछा गया कि परमाणु एनर्जी नियामक बोर्ड की किन गाइड लाइनों का पालन किया जा रहा है? किस किस स्टाफ को टीएलडी बैच प्राप्त हैं?

मामला हो गया सीरियस

सीएमओ ने पहले 30 सेंटरों को नोटिस जारी किया था। जिसमें से सिर्फ मेरठ स्कैन सेंटर और एक निजी मेडिकल कॉलेज ने पूरी जानकारी उपलब्ध कराई। जबकि बाकि 28 ने परमिशन लेने की प्रक्रिया चलने की बात कही। इसके बाद डीएम की इन सेंटरों पर टेढ़ी निगाहें हो गई उधर, स्वास्थ्य विभाग भी इन सेंटरों पर कार्रवाई करने की तैयारी कर रहा है। अब मेरठ में 100 से ज्यादा ऐसे सेंटर चल रहे हैं। जिसमें अगली प्रक्रिया में बाकि 15 सेंटरों को नोटिस जारी किया गया है।

ऐसे मिलती परमिशन

दरअसल, रेडियोलॉजी सेंटर खोलने के लिए भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र मुंबई के अधीन काम करने वाले परमाणु एनर्जी नियामक बोर्ड में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य है। बोर्ड से एप्रूव्ड कंपनी की मशीनों और उसे ट्रेंड टेक्निशियन स्टाफ की जानकारी देने के बाद ही रेडियोलॉजिस्ट को डायग्नोस्टिक सेंटर खोलने की परमिशन मिलती है। सेंटरों को भाभा परमाणु अनुसंधान केन्द्र की ओर से रेडिएशन जांचने के लिए टीएलडी बैज दिया जाता है, जिसे रेडियोलॉजिस्ट और टेक्नीशियन द्वारा मरीज की जांच के समय पहनना होता है। बोर्ड द्वारा हर तीसरे महीने सभी स्टाफ के टीएलडी की जांच की जाती है। इससे पता चल जाता है कि सेंटर पर कितना रेडिएशन हो रहा है। मानक से ज्यादा रेडिएशन होने पर बोर्ड संबंधित सेंटर का लाइसेंस रदद कर सकता है।

होगी अब कार्रवाई

28 सेंटरों पर कार्रवाई के लिए स्वास्थ्य विभाग ही नहीं जिला प्रशासन भी सीधे कार्रवाई कर सकता है। अब स्थिति साफ होने के बाद ये सभी कानून के चंगुल में फंस सकते हैं।

जब पहले 30 सेंटरों को नोटिस भेजा, तो 28 से संतोषजनक जवाब नहीं मिला, यही देखते हुए अब 15 सेंटरों को नोटिस देकर जवाब मांगा गया है, अगर इनसें भी जवाब ठीक नहीं मिलता तो कार्रवाई की जाएगी।

डा। प्रेम सिंह, अपर मुख्य चिकित्साधिकारी