क्त्रन्हृष्ट॥ढ्ढ : दैनिक जागरण आई नेक्स्ट के 'बच्चे की जान लोगे क्या' अभियान ने न सिर्फ हुक्मरानों को जगाने का प्रयास किया बल्कि गार्जियन्स को भी बच्चों के जीवन के साथ जाने-अनजाने हो रहे खिलवाड़ के प्रति सचेत करने का काम किया. लेकिन, कई स्कूल मैनेजमेंट ने इस सेंसेटिव इश्यू पर जहां राय देने से बचते रहे, वहीं बच्चों के प्राइवेट ट्रांसपोर्ट, पर्सनल बाइक राइडिंग जैसे गंभीर विषयों से भी पल्ला झाड़ते हुए सीधे-सीधे इसे गार्जियन्स की जिम्मेदारी बता दी. अभिभावकों ने इसपर सख्ती से रोक लगाने और बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ करने वाले दोषियों को चिन्हित कर उनपर ठोस कार्रवाई की मांग बुलंद की. अभिभावक संघ भी मामले को लेकर गरमाया हुआ है. अधिकारियों ने भी दबी जुबान से इसे गलत बताया लेकिन, चुनाव में व्यस्तता का रोना रोते हुए कुछ भी कहने से इंकार कर दिया. इस अभियान को लेकर गुरुवार को आयोजित परिचर्चा में अभिभावकों ने एक स्वर से इसकी प्रशंसा की.

अभिभावकों ने कहा

बच्चे देश का भविष्य हैं और इनके जीवन के साथ लगातार खिलवाड़ होना दुखद है. आज हर स्कूल के सामने निजी वैन और ऑटो लगे रहते हैं. बच्चे ठूंस- ठूंस कर भरे जाते हैं. अभिभावक संघ ने कई बार इस संबंध में लिखित शिकायत की है. अब आंदोलन की तैयारी की जाएगी. दैनिक जागरण आईनेक्सट की इस अभियान की जितनी प्रशंसा की जाए कम ही होगी.

अजय राय

अध्यक्ष, झारखंड अभिभावक मंच

बच्चों को स्कूल ले जाने के लिए निर्धारित ऑटो और वैन का शुल्क तो बढ़ाता ही जा रहा है, लेकिन सुविधाएं कम हो रही हैं. उनके बैठने लायक जगह तक नहीं होती जबरन भरा जाता है. सब के सब मिले हुए हैं इस कुकृत्य में.

संजय सर्राफ

इस बार हालत काफी खराब होने वाली है. ऐसे में बच्चों को जिस तरह से स्कूल से लाया और स्कूल ले जाया जा रहा है उससे उनकी जान पर आफत पड़ने वाली है. प्रशासन को इस मामले में कड़ी कार्रवाई करने की जरूरत है.

नीरज भट्ट

शिक्षा देने के नाम पर बच्चों का शोषण किया जा रहा है. एक तो वैन व ऑटो में बच्चों को ठूंस दिया जाता है तो दूसरी तरफ ड्राइवर-खलासी उनके साथ अच्छा व्यवहार भी नहीं करते हैं. सुरक्षा के तमाम मानकों को दरकिनार कर रुपया वसूली का धंधा धड़ल्ले से चल रहा है.

अनूप पांडेय

स्कूली बच्चों को लाने- ले जाने वाले वैन- ऑटो और बसों को लेकर नियम सख्त होने चाहिए, ऐसे लोगों को सीधे जेल भेजा जाना चाहिए. ट्रैफिक पुलिस वालों पर भी कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए क्योंकि वह लोग तो दिनभर सड़क पर रहते हैं और हालात जानते हैं.

मनोज कुमार मिश्रा

निजी स्कूलों की मनमानी चरम पर है. बच्चों की सुरक्षा को लेकर न तो कोई रुल्स एंड रेगुलेशन माना जा रहा है न ही सुरक्षा की कोई व्यवस्था ही की जा रही है. प्रशासन भी कान में तेल डालकर सो गया है. ऐसे में बच्चों की जान के साथ खिलवाड़ हो रहा है.

दीपक सर्राफ

स्कूल प्रबंधन को चाहिए कि बच्चों की सुरक्षा और उनके आवागमन को लेकर विशेष निर्णय ले और उनका कठोरता से पालन किया जाए. इस मामले में कोताही बरतने से बड़ा हादसा हो सकता है.

देवानंद राय

दैनिक जागरण आईनेक्सट ने बेहतरीन अभियान चलाया जिससे लोगों को कई महत्वपूर्ण जानकारियां मिली. हमारे बच्चे जिन स्कूलों में पढ़ते हैं स्कूल प्रबंधन से मिलकर हमलोग जल्द ही इन मामलों में जवाब मांगेंगे.

संजीव दत्त