- लाउडस्पीकरों के संबंध में एसीएम नहीं दे रहे रिपोर्ट

- कई बार रिमाइंडर का भी नहीं हो सका है असर

आगरा। ध्वनि प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने दिशा निर्देश दिए थे। धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकर ध्वनि की क्या गति है। मानकों के अनुरूप बज रहे हैं या नहीं इसकी जानकारी होनी चाहिए। लेकिन जिला प्रशासन के पास न तो यह जानकारी है कि धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों की संख्या कितनी है। उन्होंने अनुमति ली है अथवा नहीं ली है। जिला प्रशासन के पास इस संबंध में जानकारी का अभाव है।

एडीएम ने दी थी जिम्मेदारी

अपर जिलाधिकारी नगर केपी सिंह ने सभी एसीएम को निर्देश दिए थे कि उनके क्षेत्र में धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकरों की संख्या क्या है। कितनों अनुमति ली है। इसकी रिपोर्ट देने को कहा था, लेकिन इसकी जानकारी अभी तक नहीं दी गई है। कई बार रिमाइंडर दिए जाने के बाद भी रिपोर्ट नहीं दी गई। सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का पालन नहीं किया जा रहा है।

आदेश के बाद स्वयं ही पहुंचे थे लोग

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद धार्मिक स्थल वाले लोग स्वयं ही लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति लेने के लिए पहुंचे थे। जो लोग नहीं पहुंचे, उनके विरुद्ध कोई एक्शन ही नहीं हो सका है। किसी भी एसीएम को यह तक नहीं मालूम कि उनके क्षेत्र में कौन से धार्मिक स्थल पर लाउडस्पीकर बजाने की अनुमति ली है अथवा नहीं ली है।

कितने डेसीबल तक बजना है, इसका नहीं है यंत्र

धार्मिक स्थलों पर बजने वाले लाउडस्पीकर कितने डेसीबल पर बज रहे हैं, इसका अंदाजा लगाए जाने में अभी तक कामयाबी नहीं मिल रही है। अभी तक किसी भी धार्मिक स्थल पर यह नहीं मापा गया है कि लाउडस्पीकर कितने डेसीबल पर बज रहा है। हालांकि इस संबंध में जिलाधिकारी ने पूर्व में सभी विभागों के अधिकारियों के साथ बैठक कर दिशा निर्देश दिए थे कि सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का हर हाल में पालन कराया जाए, लेकिन ऐसा अभी तक देखने को नहीं मिला है। यहां तक कि प्रशासन के पास यह भी आंकडे़ नहीं हैं कि कितने धार्मिक स्थलों पर लाउडस्पीकर बज रहे हैं और उनकी ध्वनि कितने डेसीबल है। सब कुछ बस कागजों में ही चल रहा है।