-हाइ कोर्ट की वृहद पीठ का फैसला, बार कौंसिल सहित प्रदेश की सभी बार एसोसिएशन के सचिवों को नोटिस

-चीफ सेक्रेट्री, प्रिंसिपल सेक्रेट्री होम और डीजीपी को भी जारी हुई नोटिस

-जिला जजों से रिपोर्ट मांगी, बवाली वकीलों की पहचान होगी

ALLAHABAD: प्रदेश भर में स्ट्राइक पर चल रहे अधिवक्ताओं को हाइ कोर्ट ने बड़ा झटका हाइ कोर्ट ने दिया है। सात जजों की वृहद पीठ ने प्रदेश के एडवोकेट्स की स्ट्राइक को अवैध घोषित कर दिया है। इस मैटर को हाइ कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया और कहा कि अदालती कामकाज में बाधा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। पीठ ने प्रदेश की सभी जिला बार एसोसिएशनों के सचिव को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। बार कौंसिल आफ इंडिया एवं उप्र बार कौंसिल व हाईकोर्ट बार एसोसिएशन को भी नोटिस जारी की है। पीठ ने प्रदेश के न्यायालयों की सुरक्षा के मुद्दे पर मुख्य सचिव, प्रमुख सचिव गृह व डीजीपी को भी नोटिस जारी की है और जिला जजों को भी हड़ताल एवं न्यायिक कार्य में व्यवधान पर वीकली रिपोर्ट महानिबंधक को पेश करने का निर्देश दिया है।

हाइ कोर्ट की स्वप्रेरित कार्रवाई

यह आदेश चीफ जस्टिस डॉ। डीवाई चंद्रचूड, जस्टिस राकेश तिवारी, जस्टिस राजेश कुमार, जस्टिस वीके शुक्ला, जस्टिस अरुण टण्डन, जस्टिस तरुण अग्रवाल तथा जस्टिस दिलीप गुप्ता की वृहदपीठ ने स्वप्रेरित कार्यवाही के तहत किया है। कोर्ट ने कहा है कि कचहरी परिसर में शस्त्र लेकर प्रवेश प्रतिबंधित है। सरकार न्यायालय की सुरक्षा, सीसीटीवी एवं बायोमेट्रिक कार्ड व्यवस्था समयबद्ध तरीके से लागू करने पर विचार करे। सात साल से अधिक की सजा पाए वकीलों को वकालत करने से रोकने पर विचार किया जाए।

कोर्ट रूम में नारेबाजी पर सीरियस

कोर्ट ने हाईकोर्ट बार एसोसिएशन द्वारा हड़ताल वापस लेने के बाद भी ख्फ् मार्च को कुछ वकीलों के समूह द्वारा कोर्ट परिसर में नारेबाजी करने, कोर्ट रूम के दरवाजे बंद करने व न्यायिक कार्य में अवरोध उत्पन्न करने के मामले को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने महानिबंधक से अपने स्रोतों से तथा बार के सचिव से उत्पाती वकीलों की सूची मांगी है। कोर्ट ने कहा है कि उत्पाती वकीलों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी।

क्क् मार्च से चल रहा है आंदोलन

बता दें कि क्क् मार्च को इलाहाबाद डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में दरोगा की गोली से वकील की हत्या हो गई थी। तभी से प्रदेश के कई जिलों के अधिवक्ता स्ट्राइक पर हैं। कोर्ट ने कहा कि वह वादकारियों को न्याय देने के अपने संवैधानिक दायित्व से मुकर नहीं सकती। सभी जिला जज अपनी साप्ताहिक रिपोर्ट में अदालती काम में व्यवधान डालने वाले वकीलों की सूची पेश करें। हड़ताल कर काम में बाधा डालने वालों पर कोर्ट सख्त कार्यवाही करेगी। अदालतों की सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम करने की जिम्मेदारी राज्य सरकार को सौंपी गई है।

अदालतों का संवैधानिक दायित्व वादकारियों को न्याय देना है। वह इससे मुकर नहीं सकती। कोर्ट के काम में बाधा डालने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

-वृहद पीठ, हाईकोर्ट