छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : राज्य सरकार स्कूलों में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था को लेकर काफी गंभीर है। स्कूली शिक्षा एवं साक्षरता विभाग के प्रधान सचिव की ओर से सभी जिलों के शिक्षा पदाधिकारियों को भेजे पत्र में स्पष्ट निर्देश है कि इस बात की सख्ती से तस्दीक कर ली जाए कि संबंधित जिलों के सभी कोटि के विद्यालयों में शौचालय व पेयजल की समुचित व्यवस्था हो गई है या नहीं। पत्र में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि उपायुक्त के मार्गदर्शन में डीपीआरओ, डीएसई, मुखिया समन्वय कर इसकी व्यवस्था 20 जून से पहले करा लें।

प्राइवेट स्कूलों को नोटिस

सरकार के पास इस बात की जानकारी है कि कई निजी स्कूलों में शौचालय व पेयजल की सुविधा नहीं है। शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत ऐसे स्कूलों की मान्यता रद करने का प्रावधान है। प्राइवेट स्कूलों को नोटिस देकर इन संसाधनों को सुनिश्चित कराया जाएगा। ऐसा नहीं होने की स्थिति में संबंधित स्कूल की मान्यता रद कर दी जाएगी और बच्चों को समीप के स्कूल में समायोजित कर दिया जाएगा। ऐसे विद्यालयों की सूची सचाी जिलों को भेजी गई है।

ये स्कूल भी रडार पर

सरकार के पास उपलब्ध सूचना के अनुसार अल्पसंख्यक, सहायता प्राप्त, मदरसा व संस्कृत विद्यालयों में बहुतायत में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था नहीं है। ऐसे संस्थानों को नोटिस देकर तय समय में यह व्यवस्था सुनिश्चित करनी होगी। इसके बावजूद संस्थानों में व्यवस्था नहीं बनने पर अनुदान रद करने का प्रस्ताव शिक्षा विभाग की ओर से निदेशक को भेज दिया जाएगा।

रनिंग वाटर से जोड़े जाएंगे विद्यालय

जिन शहरी या ग्रामीण क्षेत्रों में जलापूर्ति योजनाएं चल रही हैं वहां नजदीकी स्कूल को रनिंग वाटर की व्यवस्था से जोड़ा जाएगा। कनेक्शन व मासिक किराये का भुगतान विद्यालय प्रबंधन मद से किया जाएगा। इसके अतिरिक्त राशि का भुगतान झारखंड शिक्षा परियोजना की ओर से वहन किया जाएगा।

हाईकोर्ट ने दिया था आदेश

दरअसल, सरकार की सक्रियता के पीछे झारखंड उच्च न्यायालय का वह निर्देश है जिसमें सभी विद्यालयों में शौचालय व पेयजल की व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा गया था। न्यायालय के आदेश पर इस मामले में अद्यतन स्थिति की रिपोर्ट सौंपी गई थी। रिपोर्ट में कई विद्यालयों में इन व्यवस्थाओं की कमी बताई गई थी।