कई सालों से ये खेल चल रहा है। एक तरफ बैडमिंटन हॉल में शौकिया खिलाडिय़ों के रूप में खेलने वालों से स्टेडियम प्रशासन पैसे नहीं वसूल पाता है, वहीं बच्चों को सुविधा देने में स्टेडियम प्रशासन बजट नहीं होने का रोना रोता है.
क्या है पंगा
बैडमिंटन हॉल में करीब 30 शौकिया खिलाड़ी शाम को प्रैक्टिस के लिए पहुंचते हैं। इनमें से कई वीआईपी और रसूखदार होते हैं। स्टेडियम प्रशासन ने इन खिलाडिय़ों की फीस प्रति माह 450 रुपए रखी है। जिसमें 250 रुपए प्रैक्टिस फी, 100 रुपए इलेक्ट्रिक फी, जिला खेलकूद प्रोत्साहन समिति की फी 100 रुपए शामिल हैं। लेकिन स्टेडियम प्रशासन इन खिलाडिय़ों से फीस लेने का साहस नहीं कर पा रहा। हद है कुछ खिलाड़ी कई सालों से फीस जमा नहीं की है। अगर इन सभी खिलाडिय़ों से फीस ली जाए तो स्टेडियम के बजट की कमी को काफी हद तक पूरा किया जा सकता है.
क्यों नहीं किया बाहर
शौकिया खिलाडिय़ों में शहर की कई रसूखदार लोग प्रैक्टिस के लिए आते हैं, इसलिए स्टेडियम प्रशासन इनके आगे हथियार डाल देता है। इसमें कई सीनियर आईएएस तक हैं। कई सालों तक मेरठ में तैनात रहने वाले एक सीनियर आईएएस के भी स्टेडियम पहुंचने के कारण स्टेडियम प्रशासन कुछ बोल नहीं पाता। वैसे स्टेडियम प्रशासन का कहना है कि फीस नहीं देने वाले खिलाडिय़ों को बार-बार नोटिस भेजा जाता है, लेकिन ये खिलाड़ी फीस नहीं दे रहे।
हद ही हो गई
शौकिया खिलाडिय़ों ने इवनिंग क्लब के नाम से बैडमिंटन हॉल में अपनी ग्रुप फोटो तक लगा ली, जिसमें पूर्व कमिश्नर भी शामिल हैं। वहीं कई प्रायोजकों के बोर्ड भी यहां पर लगा दिए गए हैं। अब इन प्रायोजकों से पैसे किसने लिए, ये समझ से परे है. 
बच्चे देते हैं जेनरेटर का पैसा
स्टेडियम में प्रैक्टिस करने के लिए बैडमिंटन के नौनिहाल खुद ही पैसे इकट्ठा करके डीजल लाते हैं। लाइट चले जाने पर बैडमिंटन हॉल में अंधेरा हो जाता है और ये बच्चें अपने पैसों के डीजल से ही प्रैक्टिस करते हैं।

'कई खिलाड़ी हैं, जो कई सालों से फ्री में खेल रहे हैं। स्टेडियम प्रशासन उनसे फीस नहीं ले पा रहा है। कई बार बोला भी गया लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ रहा है.'
- एमएम पांडेय, बैडमिंटन कोच

'बैडमिंटन हॉल की स्थिति एक दम खराब हो चुकी है। हॉल में प्रायोजकों के बैनर लगा दिए गए हैं। शौकिया प्लेयर्स ने बैडमिंटन हॉल पर कब्जा कर लिया है.'
- राजेश चौहान, सचिव जिला बैडमिंटन संघ

'अधिकतर खिलाडिय़ों ने पैसा चुका दिया है। कुछ लोगों ने नहीं दिया है, इसके लिए नोटिस भी लगा दिया है। जो खिलाड़ी पैसे नहीं देंगे, उन्हें निकाल दिया जाएगा। अभी स्टेडियम ने इन खिलाडिय़ों से 40 हजार रुपए जमा भी कर लिए हैं.'
- बृजेन्द्र कुमार, आरएसओ

लाखों का नुकसान
कैलाश प्रकाश स्पोट्र्स स्टेडियम के बैडमिंटन हॉल में करीब 35 से 40 खिलाड़ी शौकिया प्रैक्टिस के लिए आते हैं, जिनमें 25 से अधिक खिलाड़ी फीस भरने के नाम पर बेहद लापरवाह हैैं या कहें कि फीस भरना ही नहीं चाहते हैं। ये लोग अगर फीस जमा करते तो हर माह लगभग 11 हजार रुपए स्टेडियम को मिलते। साल में ये रकम एक लाख 32 हजार रुपए बनती है। हम आपको बता दें कि स्टेडियम को ये नुकसान पिछले कई सालों से हो रहा है.