पहली बार अफ़गानिस्तान की लड़कियों की टीम इस टूर्नामेंट में खेल रही है। अपने देश में विपरीत परिस्थितियों के बीच इन लड़कियों ने ये टीम आनन-फ़ानन में तैयार की है लेकिन अपने खेल और ज़िंदादिली से इन्होंने दिल्ली के दर्शकों का दिल जीत लिया है। काबुल के राबिया बाल्की हाई स्कूल की छात्राएं बताती हैं कि अफ़ग़ानिस्तान में माहौल अलग है।

खेल का शौक

टीम की एक खिलाड़ी फ़रिश्ता बताती हैं खेल के इस हुनर को उन्होंने कैसे मांजा। वो कहती हैं, "पहले हम सिर्फ़ टीवी में मैच देख सकते थे। लेकिन जब इस प्रतियोगिता के लिए स्कूल को निमंत्रण आया तो मैंने भी अपने घर वालों से कहा कि मैं खेलना चाहती हूँ। पहले तो वह तैयार नहीं हुए लेकिन बाद में मान गए और मैंने प्रैक्टिस शुरू कर दिया."

वहीं मरियम नियाज़ी इस टीम की रक्षा पंक्ति में खेलती हैं। वह कहती हैं, "हम लड़कियाँ जब खेलती हैं, तो यहाँ की तरह मैदान में लड़के नहीं होते, दर्शकों में भी नहीं। हम अपना अभ्यास भी सिर्फ़ स्कूल के मैदान में ही कर सकते हैं."

लेकिन तमाम मुश्किलों के बावजूद इन खिलाड़ियों ने अपनी टीम बनाई और इन्हें अफ़ग़ानिस्तान फ़ुटबॉल टीम के पूर्व गोलकीपर फैज़ मोहम्मद नज़ीरी ने प्रशिक्षण दिया।

बॉलीवुड की दीवानी

टीम की लड़कियां कहती हैं कि पढ़ाई के बाद जब उन्हें समय मिलता है तो वो खेल का अभ्यास भी करती हैं और मौक़ा मिलने पर टीवी पर फ़ुटबॉल मैच भी देखती हैं। इनमें अधिकतर लड़कियों के पसंदीदा खिलाड़ी पुर्तगाल के क्रिस्टियानो रोनाल्डो और अर्जेंटीना के लियोनेल मेसी हैं।

लेकिन जब बात फिल्मों की आती है तो टीम बंट जाती है। कुछ को सलमान ख़ान पसंद हैं, तो बाक़ी लड़कियां शाहरुख़ ख़ान की दीवानी हैं। टीम की कप्तान ज़र्फशान कहती हैं, "अभी रात ही हमने सलमान ख़ान की 'बॉडीगार्ड' देखी है। हम शाहरुख़ ख़ान की रा-वन देखना चाहती हैं."

दर्शकों में उत्साह

सुब्रतो कप के आयोजक कहते हैं कि विदेशी टीमों के साथ खेलकर घरेलू टीमों को ज़रूरी अनुभव मिलेगा। साथ ही दर्शकों ने भी अफ़ग़ानिस्तान जैसी विदेशी टीम का ख़ूब उत्साह बढ़ाया है।

आयोजन समिति के सदस्य प्रवीण कुमार कहते हैं, "दर्शक पहली बार विदेशी लड़कियों की टीम को खेलता देख रहे हैं। उन्होंने इन खिलाड़ियों की हौसला अफ़ज़ाई की है." सुब्रतो कप का आयोजन भारतीय वायु सेना करवाती है।

मैच देख रहे एयर कोमोडोर मानवेंद्र सिंह कहते हैं कि इस तरह की प्रतियोगिता से भारत और अफ़ग़ानिस्तान के आपसी संबंध भी मजबूत होंगे। वो कहते हैं, "यह अच्छा मौक़ा है कि खेल के माध्यम से दोनों देशों के बीच दोस्ती को बढ़ाया जाए."

दिल जीता

सोमवार का मैच अफ़गानिस्तान की टीम मैदान पर तो हार गई लेकिन मेज़बानों का दिल ज़रूरी जीत लिया। टीम की फॉरवर्ड फ़रिश्ता कहती हैं, "हम अपने देश में वापस जाकर दूसरी लड़कियों से कहेंगे कि वो भी फुटबॉल खेलें और अपने देश का नाम रोशन करें।

यह टीम 24 नवंबर तक दिल्ली में है और इस दौरान इनका इरादा अच्छी फ़ुटबॉल खेलने के साथ-साथ ढेर सारी नई हिंदी फ़िल्में देखने का भी है।

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