परिषद का ये भी कहना है कि पुरुष रिश्तेदार के बगैर उन्हें यात्रा भी नहीं करनी चाहिए। अफगानिस्तान के राष्ट्रपति ने इस बयान का स्वागत किया है जबकि मानवाधिकार संगठनों से जुड़े लोगों के मुताबिक ऐसा लग रहा है कि करजई तालिबान को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं।

निशाना इब्राहिमी अफगानिस्तान के समाचार चैनल, वन टीवी में काम करती हैं। पुरुष सहयोगियों के साथ काम न करने की बात से वे सहमत नहीं है। निशाना कहती हैं, “ये गलत बात है कि हमें पुरुषों के साथ काम नहीं करना चाहिए। मुझे अपने काम पर गर्व है और इस बात पर भी कि मैं घर से बाहर जाकर काम करती हूँ।

तालिबान की तर्ज पर?

अफगानिस्तान की धार्मिक परिषद को सरकार से आर्थिक मदद मिलती है। परिषद का कहना है कि इस्लाम के अनुसार महिला के साथ पुरुष का होना जरूरी है। परिषद के अनुसार ये एक आग्रह है। लेकिन आलोचकों का कहना है कि परिषद का ये तर्क तालिबान की तर्ज पर है।

अफगान सासंद फॉजिया कूफी कहती हैं, “हमने दस साल संघर्ष किया। हमने कई चीजें हासिल भी की हैं। अब इन्होंने हमारे मूल अधिकार वापस लेने शुरु कर दिए हैं एक साथ काम करना, एक साथ रहना, स्वतंत्र व्यक्ति की तरह बाहर जाना आप अब ऐसा नहीं कर सकते.”

कार्यकर्ताओं ने आगाह किया है कि ये तो सिर्फ शुरुआत भर हो सकती है। उनका डर है कि तालिबान के साथ शांति समझौते करने की जल्दबाजी में राष्ट्रपति हामिद करजई महिलाओं के अधिकार कुर्बान करने के लिए तैयार हो जाएँगे।

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