- इंदिरानगर के शिवाजी पुरम का मामला

- नालियां और फुटपाथ बिना बनाए ही ठेकेदार हुआ रफूचक्कर

- स्थानीय लोगों की शिकायत के बावजूद नगर निगम के ऑफिसर्स ने साधा मौन

pankaj.awasthi@inext.co.in

LUCKNOW : लंबे इंतजार के बाद सड़क का निर्माण शुरू हुआ स्थानीय लोगों ने राहत की सांस लीजोरशोर से काम पूरा भी किया गया पर, इसके बाद जो हुआ उससे लोग ठगे से रह गए। ठेकेदार ने मानकों को दरकिनार कर आनन-फानन सड़क बनाई, फाइल में शामिल होने के बावजूद न तो नालियां बनी और न ही फुटपाथ की इंटरलॉकिंग टाइल्स ही लग सकीं। अधूरा काम करने के बाद ठेकेदार रफूचक्कर हो गया। कुछ ही दिनों में रोड धंसने लगी। कई महीने तक इंतजार के बाद भी जब ठेकेदार नहीं लौटा तो लोगों ने नगर निगम के ऑफिसर्स से इसकी शिकायत की। पर, अधिकारियों ने इसकी जांच की जहमत तक नहीं उठाई। जब आई नेक्स्ट ने इस मामले पर नगर आयुक्त से बात की तो उन्होंने जांच की बात कही है।

40 लाख की लागत से हुआ था काम

इंदिरानगर स्थित शिवाजीपुरम की छठी गली में विक्रमादित्य स्कूल से रंगोली गेस्टहाउस और पंप हाउस से बी-ब्लॉक मेन रोड तक रोड का बुरा हाल था। पांच महीने पहले समग्र विकास निधि से डामर रोड निर्माण, नाली निर्माण और फुटपाथ में इंटरलॉकिंग स्वीकृत हुई। क्षेत्रीय पार्षद प्रेमनाथ वर्मा के मुताबिक, इस काम के लिये 40 लाख रुपये की रकम मंजूर हुई थी।

मानकों की उड़ाई धज्जियां

शिवाजीपुरम विकास कल्याण समिति के मुख्य संरक्षक विजय गुप्ता ने बताया कि चार महीने पहले महेंद्र नाम के कॉन्ट्रैक्टर ने रोड निर्माण शुरू किया। आनन-फानन शुरू हुए काम में मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई गई। पेवर द्वारा रोड का निर्माण तो जैसे-तैसे कर दिया गया, लेकिन उसके बाद मानो कॉन्ट्रैक्टर का एरिया से मोहभंग हो गया। उसने नालियों में कुछ जगह प्लास्टर किया, बाकी नालियों को अपने हाल पर छोड़ दिया गया। इतना ही नहीं, रोड व नाली के बीच की कच्ची जमीन पर इंटरलॉकिंग टाइल्स भी कुछ चुनिंदा जगहों पर ही लगाई गई। बाकी जमीन को ऐसे ही छोड़ दिया गया, जिसमें अब ऊंची-ऊंची झाडि़यां उग आई हैं।

रोड धंसी तो उड़े होश

विजय गुप्ता के मुताबिक, कुछ दिनों बाद ही रोड एक जगह धंस गई। लंबे इंतजार के बाद बनी सड़क का हाल देख उन लोगों के होश उड़ गए। समिति के लोगों ने नगर निगम जोन-7 के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कंवलजीत सिंह से इसकी शिकायत की। पर, कोई सुनवाई नहीं हुई। असिस्टेंट इंजीनियर दयाशंकर त्रिपाठी और जेई अरुण कुमार मेहता ने भी स्थानीय लोगों की शिकायत पर ध्यान नहीं दिया।

'कल देखूंगा और कमियों को ठीक कराउंगा'

रोड की इस दुर्दशा और स्थानीय लोगों के आरोप पर जब एग्जीक्यूटिव इंजीनियर कंवलजीत सिंह से जानकारी मांगी तो उन्होंने जानकारी होने से इंकार किया। उन्होंने असिस्टेंट इंजीनियर दयाशंकर त्रिपाठी से बात करने की सलाह दी। जब दयाशंकर से जानकारी मांगी गई तो उन्होंने भी रोड की इस्टीमेट कॉस्ट की जानकारी से अनभिज्ञता जताई। जब उन्हें रोड, नाली व फुटपाथ की हालत के बारे में बताया गया तो उन्होंने गुरुवार को साइट पर जाकर जांच करने और कमियों को ठीक कराने की बात कही। हालांकि, वे इस बात का जवाब नहीं दे सके कि उन्होंने बिना साइट की जांच किये एमबी (मैन्युअल बुक) में सिग्नेचर किस तरह कर दिये।

लोगों में नाराजगी

रोड के निर्माण में भारी अनियमितता बरती गई है। इसकी जांच कराई जानी चाहिये।

- विजय गुप्ता

चार महीने में ही रोड धंस गई, शिकायत के बावजूद नगर निगम के ऑफिसर कोई सुनवाई नहीं करते।

- दिनेश टंडन

कॉन्ट्रैक्टर ने रोड तो घटिया बनाई ही है, साथ ही नालियों को भी नहीं सुधारा। कई जगह नाली धंसी होने की वजह से चोक हैं।

- अदिति

ऐसी रोड बनने से क्या फायदा कि चार महीने भी न चल सके। सीएम साहब को इस ओर ध्यान देना चाहिये।

- सतीश कुमार

मामला काफी गंभीर है, पूरे मामले की जांच कराई जाएगी। अगर निर्माण की गुणवत्ता में कोई गड़बड़ी की गई है तो कार्रवाई की जाएगी।

- उदयराज सिंह

नगर आयुक्त