क्त्रन्ठ्ठष्द्धद्ब : एसएसपी को भले ही गोली लगी थी, पर उनका जोश और उत्साह पहले की तरह ही उनके चेहरे से झलक रहा था। मेडिका हॉस्पिटल में कोबरा बटालियन के एंबुलेंस से उतरने के बाद एसएसपी ने मुस्कुराते हुए कहा- घबराने की कोई बात नहीं। उनके जोश को देखने के बाद वहां मौजूद अधिकारियों व जवानों ने राहत की सांस ली। उन्होंने अपनी बातों सो से किसी को मायूस होने नहीं दिया। इतना ही नहीं, खूंटी से प्रारंभिक उपचार के बाद रांची निकलने के पहले उन्होंने मोर्चे पर अपने सहयोगियों को डटे रहने के लिए हौसला बढ़ाया। उन्होंने घायल बॉडीगार्ड को भी बेहतर इलाज के लिए अधिकारियों को कहा। हालांकि, मुठभेड़ में ड्राइवर के शहीद होने का मलाल था।

तुपुदाना से ही हो रही थी रेकी

नक्सलियों के किसी तरह का भनक नहीं लगे, इस बाबत ऑपेरशन के लिए एसएसपी जिस वाहन से गए थे, उसमें पीली बत्ती नहीं लगी हुई थी। एसएसपी और बॉडीगार्ड सिविल ड्रेस में थे। लेकिन, एसएसपी का वाहन जैसे ही तुपुदाना से आगे बढ़ा, नक्सलियों के सैक कमांडर दीपक को यह जानकारी मिल गई कि एसएसपी सिविल ड्रेस में अपनी एसयूवी कार से कुछ पुलिसकर्मियों के साथ खूंटी की ओर जा रहे हैं। गाड़ी के रंग की भी जानकारी नक्सलियों को दी गई। ऐसे में जैसे ही एसएसपी की एसयूवी दुलमी के पास पहुंची, नक्सलियों ने ताबड़तोड़ हमला शुरु कर दिया था।

फैजल के साथ एसएसपी थे निशाने पर

एसएसपी के बॉडीगार्ड व क्यूआरटी टीम में शामिल फैजल अहमद का कई नक्सलियों व अपराधियों को गिरफ्तार कराने में अहम रोल रहा है। ऐसे में फैजल के साथ एसएसपी तो नक्सलियों के निशाने पर नहीं थे। पुलिस इस एंगल से भी इस मुठभेड़ की छानबीन कर रही है।