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LUCKNOW : सालों पुराने पुलिस एक्ट में बदलाव को लेकर कई बार पुलिसकर्मियों को ही अपने विभाग से मोर्चा लेना पड़ा पर अधिकारियों पर इसका कोई असर नहीं हुआ। हैरत की बात यह हैै कि किसी भी अधिकारी ने इसे बदलने की कवायद तक नहीं की और नतीजतन राज्य सरकार को इस बाबत कोई प्रस्ताव तक नहीं भेजा गया। अब एक बार फिर पुलिस एक्ट में बदलाव की मांग तेज होने लगी है। चेहरा छिपाकर अपना विरोध जताने वाले पुलिसकर्मी इस बार पीछे हटने को तैयार नहीं है। दो बार प्रदर्शन कर चुके पुलिसकर्मी अब 21 अक्टूबर को फिर से इसे दोहराने की तैयारी में हैं। सोशल मीडिया उनके मुखर विरोध की गवाही दे रहा है तो थानों पर भी वे आलाधिकारियों को धता बताने से नहीं चूक रहे।

साइकिल चलाकर किया विरोध

विरोध का आलम यह है कि तमाम पुलिसकर्मी साइकिल चलाकर अपने विरोध का प्रदर्शन कर चुके हैं। छुट्टियों को लेकर उनके इस्तीफे अब रोज की बात होती जा रही है। हालिया तबादला नीति ने उनके गुस्से में आग में घी का काम किया है जिसके बाद राज्य सरकार को भी इस बाबत सोचने को मजबूर होना पड़ा है। परिवार से सैंकड़ों किमी दूर पोस्टिंग उन्हें अवसाद का शिकार बना रही है। तमाम भत्तों को लेकर विसंगतियों उन्हें परेशान कर रही है। इसमें एक बड़ा मामला राजपत्रित अधिकारी बनने का भी है। पिछली सरकार में अखिलेश यादव ने बतौर मुख्यमंत्री इंस्पेक्टर को राजपत्रित अधिकारी बनाने का ऐलान तो किया लेकिन इस प्रस्ताव को अफसर अमली जामा पहनाने में नाकामयाब रहे। फिलहाल विभाग उन्हें प्रमोशन की सौगात देकर आक्रोश को कम करने का प्रयास कर रहा है पर इससे समस्या का हल निकल पाना मुश्किल है।

कमिश्नर सिस्टम लागू नहीं

कुछ ऐसा ही हाल सूबे में कमिश्नर सिस्टम लागू करने का भी है। सपा सरकार में एक डीजी के नेतृत्व में इसकी कमेटी गठित की गयी थी जिसने सभी 14 कवाल टाउन में बारी-बारी से कमिश्नर सिस्टम लागू करने की सिफारिश की थी। पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर लखनऊ और नोएडा में इसे पहले शुरू किया जाना था। यह प्रस्ताव भी नौकरशाही की भेंट चढ़ गया और आज तक किसी भी बड़े शहर में कमिश्नर सिस्टम को लागू नहीं किया जा सका। ध्यान रहे कि इससे पहले बसपा सरकार में भी इस तरह की कवायद की गयी थी। इसमें 10 लाख से अधिक जनसंख्या वाले शहरों में पुलिस कमिश्नर सिस्टम लागू होना है।

नहीं मानी सुप्रीम कोर्ट की सलाह

यूपी के पूर्व डीजीपी प्रकाश सिंह ने पुलिस सुधार की संस्तुतियों को लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा तक खटखटाया पर कोई भी सरकार इसका साहस नहीं कर सकी। प्रकाश सिंह ने सुप्रीम कोर्ट में दायर की अपनी पीआईएल में पुलिस विभाग को स्वतंत्र बनाने का सुझाव दिया था और ये भी कहा था कि संवेदनशील जगहों पर पुलिस कर्मियों की पोस्टिंग एक नियत समय के लिए ही हो जिससे की उनमें कोई मनोवैज्ञानिक हीनभावना न आये। इस पर कोर्ट ने अपना निर्णय सुनाया था जिसमें हर राज्य में एक स्टेट सिक्यूरिटी कमीशन और केंद्र में नेशनल सिक्यूरिटी कमीशन बनना था। नियुक्तियां और प्रमोशन बिना किसी राजनैतिक हस्तक्षेप के करने, नियुक्ति और स्थानांतरण पुलिस बोर्ड के जरिए होने की मांग की गयी थी। साथ ही डीजीपी का कार्यकाल कम से कम दो साल करने की मांग भी की गयी थी।

जीआरपी खत्म करने की कवायद

सूबे में योगी सरकार बनने के बाद पुलिस एक्ट में बदलाव की कुछ कोशिशें फिर शुरू की गयी। इसे लेकर एक प्रस्ताव भी बनाया गया जिसमें जीआरपी को समाप्त किया जाना है। प्रस्ताव में जीआरपी के थानों को सिविल पुलिस में शामिल करना और एसएसपी को ही इसका इंचार्ज बनाने की सिफारिश की गयी है। इसे लेकर एक समिति का गठन भी किया जा चुका है जिसकी रिपोर्ट आनी बाकी है।

प्रदेश को नये पुलिस अधिनियम की आवश्कता है। पुराना एक्ट पूरे देश में लागू है तो यूपी में उत्तर प्रदेश पुलिस अधिनियम बना सकते है। इसका प्रस्ताव 20 साल पहले तत्कालीन डीजीपी प्रकाश सिंह कर चुके हैं। दरअसल यह अधिनियम भारत के साथ बर्मा, पाकिस्तान और श्रीलंका में भी लागू है। सरकारों के लिए यह इतना उपयोगी है कि कोई खत्म नहीं करने का साहस नहीं कर रहा। इसमें नेताओं का बोलबाला है और डीजीपी के अधिकार कम होते जा रहे हैं लिहाजा इसमें बदलाव बहुत जरूरी है।

- श्रीधर पाठक, पूर्व पुलिस महानिरीक्षक

तीन दिन तक चलेगा, यूपी कैडर के आईएएस का होगा जमावड़ा

आईएएस वीक का आयोजन इस वर्ष 14 दिसंबर से 16 दिसंबर के बीच होगा। आईएएस एसोसिएशन के सूत्रों के मुताबिक मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इसकी सहमति दे दी है। तीन दिन तक आयोजित होने वाले आईएएस वीक में यूपी कैडर के आईएएस अफसरों का राजधानी में जमावड़ा होगा। हर साल की तरह इस बार भी मुख्यमंत्री वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के सम्मेलन में उन्हें गुड गवर्नेंस के गुर बताएंगे। सम्मलेन में अपने कार्यक्षेत्र में अच्छी पहल करने वाले अधिकारियों द्वारा प्रेजेंटेशन भी दिए जाएंगे। साथ ही राज्यपाल और मुख्यमंत्री आईएएस अफसरों को डिनर पर भी आमंत्रित करेंगे। आईएएस वीक  के अंतिम दिन सूबे के आईएएस व आईपीएस अधिकारियों के बीच फ्रेंडली क्रिकेट मैच भी खेला जाएगा। आईएएस एसोसिएशन जल्द ही इसका विस्तृत कार्यक्रम जारी करने की तैयारी में है।

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