गांधी जी के बारे में कहा जाता है कि वे जिधर एक कदम रख देते थे करोड़ों लोग उस ओर बढ़ जाते थे. बाद में यही बात नेलसन मंडेला और रोनाल्ड रीगन के बारे में कही गई. दिल्ली मे चल रहे अन्ना हजारे के बारे में भी अगर यही बात कही जाए तो कुछ गलत नहीं होगा. रामलीला मैदान में अन्ना के छेड़े लोकपाल आन्दोलन की गूंज जिस तरह से सारी दिल्ली और उसके बाहर देशभर में गूंज रही है उसे देखकर इसे आन्दोलन कहना सार्थक सा लग रहा है.

रामलीला मैदान से लौटकर

अगर सरकार और उसके मंत्री यह कह रहे हैं कि रामलीला मैदान पर जो कुछ हो रहा है वह महज एक मिडिल क्लास का कल्चर है तो वे शायद इस आन्दोलन को कम करके आक रहे हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ शुरू हुए इस आन्दोलन अब कुछ यूं गति पकड़ी है कि यह लोकपाल या जनलोकपाल का नहीं बल्कि जनता बनाम गवर्नेंस का आन्दोलन बन कर उभरा है. आश्चर्य की बात यह है कि आमतौर पर सोए रहने वाले शहरी वर्ग ने इस आन्दोलन की बागडोर संभाली है और गावों और दूर कस्बों के लोगों ने उसमें जान भर दी है. मैंने रामलीला मैदान में लगभग 30 घंटे गुजारे और इस बीच जो कुछ भी देखा उसकी एक तस्वीर आपके सामने रख रहा हूं. 

    

आमतौर पर दिल्ली का रामलीला मैदान हर साल उस समय चर्चा में आता है, जब दशहरे के मौके पर रामलीला का मंचन होता है और उसके बाद रावण जलता है मगर पिछले 4 दिनों के भीतर यह मैदान अन्ना हजारे के आन्दोलन के चलते सारी दुनिया का अट्रैक्शन बन गया है..

वालेन्टिअर्स का कमाल

अजमेरी गेट और तुर्कमान गेट के बीच 10 एकड़ की जगह में फैले इस रामलीला मैदान लोगों का हुजूम देखते ही बनता है. 60 हजार से भी ज्यादा लोगों की भीड को टीम अन्ना ने वालेन्टियर्स की मदद से बड़ी खूबसूरती से मैनेज किया है. ग्राउन्ड पर हर उस चीज का ख्याल रखा गया है जिससे लोगों को शान्तिपूर्ण प्रोटेस्ट करने के लिये मोटिवेटेड रखा जा सके.

मेडिकल की भी है सुविधा

लोगों की मेडिकल जांच के लिये एक डाक्टरों की वालेन्टियर टीम ग्राउंड पर मौजूद है. यहां लोगों का प्राइमरी चेकअप किया जाता है और हालत गम्भीर होने पर एम्बुलेंस की मदद से हास्पिटल भेज दिया जाता है.

नन्ही गिलहरी

रामलीला मैदान से लौटकर

पानी और खाने का वालेन्टिअर्स ने पूरा ख्याल रखा है. ग्राउंड में जगह जगह पानी के पाउचेज की व्यवस्था है. हमें 7 साल की एक ऐसी वालेंटिअर भी मिली जो रामसेतु की गिलहरी की तरह दौड़ दौड़ कर सभी को पानी के पाउचेज बांट रही थी. यह बच्ची अपनी मां के साथ अन्ना को उनके मिशन में सपोर्ट करने आई थी.

खाने पीने की कोई कमी नहीं

मैदान में ट्रकों पर लद कर खाना आ रहा है. देश भर से लोग अन्ना के सपोर्टर्स के लिये खाना भेज रहे हैं. यह तमाम धार्मिक और सोशल ग्रुप्स का इनीशिएटिव ही है कि रामलीला ग्राउंड पर लोग शान्तिपूर्ण माहौल में अनशन कर पा रहे हैं. रामलीला मैदान पर हर उस समस्या को आसान बनाने की कोशिश की गई है जिससे आन्दोलन को सुचारू रूप से चलाया जा सके.

मन में है श्रद्धा

लोगों में इस आन्दोलन के लिये एक श्रद्धा देखने को मिली. डोनेशन काउन्टर पर लोगों की लम्बी कतारें और उनमें गिनी जा रही लाल हरी नोटें यह समझने के लिये काफी हैं कि सही मक्सद के लिये इंडियंस पैसा खर्च करने में जरा भी नहीं चूकते है. गेट नम्बर 1 के पास बने इस हेल्प सेंटर पर डोनेशन कलेक्ट करने के लिये आठ काउन्टर्स बनाये गये हैं इसके बावजूद दान देने वालों की संख्या को कन्ट्रोल करना मुश्किल हो रहा है.  

Musical है माहौल

वन्दे मातरम, रघुपति राघव राजा राम और सारा देश है अन्ना जैसे गानों से लोगों में जोश भर रहा है. देश के कोने-2 से आए लोगों को एक सूत्र में पिरोने के लिये तमाम सेलीब्रेटी सिंगर्स भी मंच पर आकर नेशनैलिटी के गाने गा कर लोगों को मोटीवेट कर रहे हैं. कुमार विश्वास ने मंच सम्हाल रखा है और वे जेपी आन्दोलन के वक्त दिनकर द्वारा गाई गईं तमाम कविताओं से लोगों को मोटीवेट कर रहे हैं. दिनकर ने इसी मैदान पर 1975 में ‘सिंहासन खाली करो कि जनता आती है’ का नारा लगाया था और इन्दिरा गांधी ने इससे घबराकर इमरजेंसी लागू कर दी थी.

Educating People

टीम अन्ना का इस बात का पूरा ख्याल रख रही है कि लोगों को जन लोकपाल की सारी जानकारी हो ताकि सरकार उन्हें ब्लाइंड फालोअर्स न कहने पाये. सरल शब्दों में अन्ना टीम के लोग यह बता रहे है कि जन लोकपाल क्यूं जरूरी है, इसके आने से क्या असर पड़ेगा और अन्ना टीम सरकारी लोकपाल का विरोध क्यूं कर रही है. इस सबके अलावा किरन बेदी, अरविन्द केजरीवाल, प्रशान्त भूषण और स्वामी अग्निवेश लगातार मंच पर आकर लोगों से शान्त और अहिंसक आन्दोलन की अपील कर रहे है.

जब मान गई public 

रामलीला मैदान से लौटकर

संडे को रामलीला मैदान पर अनुमान से ज्यादा भींड पहुंच गई थी और जोशीले नारों के बीच कुछ यूथ मीडिया सेंटर में छलांग लगाने लगे थे. कुमार विश्वास ने माइक सम्हाल रखा था और जैसे ही उन्होने लोगों से बैठने की अपील की लोग शान्त हो गए. आश्चर्यजनक तरीके से बेकाबू भीड़ जो मीडिया सेंटर में घुस रही थी बैठ गई.

अन्ना का था सबको इन्तजार

अन्ना हजारे के एक हफ्ते से भी ज्यादा के फास्ट ने उन्हें काफी कमजोर कर दिया है. टीम ने इस बात का पूरा ख्याल रखा है कि अन्ना ज्यादा न बोलें और अपनी एनर्जी बचायें. लोगों की भावनाओं का ख्याल रखते हुए बीच बीच में सबके सामने आते रहे और हाथ हिलाकर जनता का अभिवादन स्वीकार करते रहे. शाम को जब वे लोगों के सामने आए और लोगों को सम्बोधित किया तो भीड़ में एक जान सी आ गई. उनके यह कहते ही कि “भाइयों बहनों और बच्चों मै अब ठीक हूं. बस मेरा वेट 4 किलो कम हो गया है” लोग भाव विभोर हो गये. उन्होने जैसे ही कहा कि “देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाना है. मशाल अभी जल रही है. अन्ना रहे न रहे मशाल जलती रहे” तो लोग उठकर खड़े हो गये और पूरा आकाश गूंज उठा.  

हिस्ट्रीमेकर ग्राउन्ड

रामलीला मैदान से लौटकर

जब समय के साथ-साथ पुरानी दिल्ली के कई संगठनों ने इस मैदान में रामलीलाओं का आयोजन करना शुरू कर दिया तो इस मैदान की पहचान रामलीला मैदान के रूप में बन गई और धीरे धीरे तमाम राजनैतिक रैलियों और अनशनों के चलते इस मैदान को इतिहास बनाने वाले ग्राउन्ड के तौर पर पहचाना जाने लगा है. 1983 में जब अंग्रेजों ने ब्रिटिश सैनिकों के शिविर के लिए इस मैदान को तैयार करवाया था तो किसी को भी आइडिया नहीं रहा होगा कि यह मैदान हिस्ट्री की बजाय हिस्ट्री मेकर बन जायेगा.

कहते हैं कि दिल्ली के दिल में इससे बड़ी खुली जगह और कोई नहीं है और यहां जब जब किसी लीडर ने कमान सम्हाली है जनता ने उसे सर आखों पर लिया है. देखना है अन्ना इस मैदान पर कितना बड़ा इतिहास बनाते हैं.

Reported by: Alok Dixit

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