केस-1- देर रात तक नहीं आती नींद

स्वरूप नगर स्थित एक मल्टीस्टोरी बिल्िडग के सातवें फ्लोर पर रहने वाले सिद्धार्थ साजनानी को लो-बीपी की पहले से प्रॉब्लम है. 25 अप्रैल को जब भूकंप आया तो वह घर पर ही थे. भूकंप की वजह से वह दौड़ते हुए अपार्टमेंट के बाहर आ गए. उस दौरान उनकी तबीयत काफी बिगड़ गई. कई दिनों तक वह घर में रहे तो रात में नींद नहीं आई. उन्हें हमेशा कुछ हिलते रहने का अहसास भी होता है. मंडे को उन्होंने मेडिकल कॉलेज में साइक्रियाटिस्ट डॉ. विपुल सिंह को दिखाया तो पता चला कि उन्हें एंजाइटी की प्रॉब्लम हो गई है, साथ ही ब्लड प्रेशर लो रहता है.

हमेशा बीमार होने सा लगता है

अशोक नगर निवासी लाल सिंह का बेटा अभी 11वीं क्लास में पढ़ रहा है. भूकंप आने के बाद से उसका किसी काम में मन नहीं लगता. जब भी अकेले बैठ कर कोई काम करता है तो उसे लगता है कि आस-पास कुछ हिल रहा है. इस वजह से वह रात को भी नहीं सो पाता और घर के बाहर टहलता रहता है. अगर किसी बीमार शख्स को देखता है तो उसकी हालत और खराब हो जाती है. पिता ने उसकी बढ़ती प्रॉब्लम देख गुरुवार को हैलट के मनोरोग विभाग में डॉ. धनंजय चौधरी को दिखाया तो पता चला कि उनके बेटे को एंजाइटी ऑफ डिसीज है जोकि एक साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है.

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- भूकंप ने कानपुराइट्स में बढ़ाई एंजाइटी और लो-बीपी की प्रॉब्लम

- मानसिक रुप से कमजोर लोगों को ज्यादा सता रही प्रॉब्लम

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KANPUR: ख्भ् अप्रैल और फिर क्ख् मई दिन मंगलवार. भूकंप के इन दो लगातार झटकों ने कानपुराइट्स को नुकसान भले कम पहुंचाया हो लेकिन लोग भीतर से सहम गए हैं. इसका असर उनके दिलोदिमाग पर हावी हो रहा है. खासकर बुजुर्ग और वो लोग जिन्हें पहले से ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियां घेरे हुए हैं. भूकंप ने उनके जेहन पर ऐसा असर डाला है कि लोगों को थोड़ी-थोड़ी देर में अपने आसपास सबकुछ हिलता-डुलता महसूस होता है. दहशत के कारण कोई नींद भर सो नहीं पा रहा है तो किसी का ब्लड प्रेशर लो हो गया है. इसकी नजीर दे रही हैं सरकारी ओपीडी और प्राइवेट डॉक्टर्स की क्लीनिक. डॉक्टरों का मानना है कि इन दिनों 'एंजाइटी ऑफ गेटिंग डिसीज' के मरीजों की संख्या बढ़ रही है. अलग-अलग लक्षणों से परेशान लोग इलाज के लिए पहुंच रहे हैं.

महसूस हुए हल्के झटके

आईआईटी के वैज्ञानिकों के मुताबिक सवा दो सौ छोटे आफ्टर शॉक शहर को हिला चुके हैं, लेकिन ज्यादातर भूकंप की तीव्रता बहुत कम थी. इन्हें बिस्तर पर लेटे या ऑफिस में बिना मूवमेंट बैठे लोगों ने ज्यादा महसूस किया है. हालांकि, ख्भ् अपै्रल और क्ख् मई के झटके बड़े थे जिन्हें हर कहीं लोगों ने महसूस किया था.

जरूरी नहीं हर वहम गलत हो

कई बार लोगों को कुछ हिलने का अहसास होता है तो यह जरूरी नहीं कि उन्हें वहम हुआ हो. आईआईटी में स्ट्रक्चरल इंजीनियरिंग के एक्सपर्ट प्रो. दुर्गेश चंद्र राय के मुताबिक बीते तीन दिनों में ही भूकंप के क्8 झटके आ चुके हैं. इनका मैग्नीट्यूट काफी कम था इस वजह से झटकों का अहसास कम लोगों को हुआ. ख्भ् अप्रैल के बाद से अब तक ख्00 से ज्यादा ऑफ्टर शॉक आ चुके हैं. इसकी चपेट में कानपुर भी रहा. हालांकि, तीव्रता जरूर कम थी.

भूकंप का खौफ, बढ़े पेशेंट्स

भूकंप की वजह से लोगों में एंजाइटी प्रॉब्लम बढ़ रही है. वजह है कि कानपुर में आए भूकंप और नेपाल, बिहार आदि में तबाही की यादें लोगों के दिलोदिमाग पर असर छोड़ गई हैं. इसका असर उनकी नॉर्मल रूटीन लाइफ पर भी पड़ रहा है. हैलट हॉस्पिटल के मेडिसिन डिपार्टमेंट की ओपीडी में आम दिनों की अपेक्षा डेढ़ गुना तक मरीज बढ़े हैं.

क्या कहते हैं डॉक्टर्स

डॉ. हेमंत मोहन बताते हैं कि एजांइटी के पेशेंट्स सबसे ज्यादा बढ़े हैं जिन्हें नींद नहीं आने और एंजाइटी ऑफ गेटिंग डिसीज की प्रॉब्लम है. यह एक साइकोलॉजिकल प्रॉब्लम है जिससे पीडि़त को किसी बीमार शख्स को देख खुद को भी बीमार होने का अहसास होता है.

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कोट-

भूकंप के बाद जिन लोगों को पहले से बीपी की प्रॉब्लम है या फिर कोई मानसिक प्रॉब्लम है, उनमें दिक्कत बढ़ी है. कई ऐसे पेशेंट्स आ रहे हैं जिन्हें नींद नहीं आने और किसी को देख कर बीमार होने का अहसास होता है.

- डॉ. धनंजय चौधरी, एचओडी, मनोरोग विभाग, जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज