वीटीएस के बावजूद सालभर में नहीं हो सकी ओवर स्पीड कंट्रोल

150 से अधिक शिकायतों में से एक का भी नहीं हुआ निस्तारण

Meerut। वीटीएस सिस्टम लागू हुए दो साल से अधिक का समय बीत चुका लेकिन अभी तक वीटीएस महज एक कागजी योजना ही है। चूंकि वीटीएस के बावजूद न तो रोडवेज बसों की स्पीड पर लगाम कस पा रही है और न ही चालकों की मनमानी पर।

हुई था लागू

वीटीएस यानि व्हीकल ट्रैकिंग सिस्टम को जीपीएस के माध्यम से बसों पर निगरानी रखने के लिए साल 2015 में शुरू किया गया था। इसके तहत बसों में जीपीएस लगाकर उनकी स्पीड़, रूट और अनाधिकृत स्थानों पर उनके रुकने जैसी गतिविधियों पर नजर रखी जानी थी। हालांकि बीते दो वर्षो में वीटीएस द्वारा नाममात्र शिकायतों का भी निस्तारण नहीं किया गया है।

150 से अधिक शिकायतें

रोडवेज यात्रियों द्वारा टोल फ्री और वाट्स ऐप नंबर पर सबसे अधिक शिकायतें अनाधिकृत ढाबों पर रुकने और ओवर स्पीड की दर्ज कराई जाती हैं। इन शिकायतों का रोडवेज कार्यालय में अंबार होने के बाद भी शिकायतों पर किसी प्रकार का एक्शन नहीं लिया जाता है। एक माह में लगभग 150 से अधिक शिकायतों को दर्ज किया जाता है लेकिन अधिकतर शिकायतों को केवल रजिस्टर में दर्ज कर खत्म कर दिया जाता है।

मॉनीटरिंग में लापरवाही

वीटीएस के लिए आरएम और एआरएम स्तर पर मानीटरिंग की व्यवस्था है। लेकिन इसके लिए स्टॉफ की कमी और अधिकारियों के स्तर पर लापरवाही के चलते बसों की मॉनीटरिंग जीरो है। चालक यदि रुट से अलग भी बस चलाता है तो निगरानी नहीं होती है।

अधिकतर बसों की निगरानी वीटीएस के माध्यम से की जा रही है लेकिन हर समय निगरानी रखना संभव नहीं हो पाती है। औचक मॉनीटरिंग कर बस के रुट और स्पीड पर नजर रखी जाती है।

परवेज बशीन, एआरएम

रोडवेज बसों मे अक्सर चालक- परिचालक अपनी मर्जी से बसों को रोकते हैं तो कभी तेज भगाते हैं। यात्रियों के मना करने के बाद भी फर्क उन पर कोई फर्क नहीं पड़ता। वीटीएस से निगरानी का लाभ नहीं मिल रहा है।

राजा बाबू

वीटीएस प्रणाली की जब तक सही से मॉनीटरिंग नहीं होगी तब तक यह योजना केवल कागजों में चलती रहेगी। शबाना