छ्वन्रूस्॥श्वष्ठक्कक्त्र : रक्षाबंधन यानी भाई-बहन के प्यार का त्योहार। इस मौके पर बहना अपने भाई की कलाई पर राखी बांधती है, तो भाई अपनी बहन की रक्षा करने का संकल्प लेता है। हर साल यह त्योहार बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, लेकिन शहर के शास्त्री नगर स्थित ब्लॉक नंबर तीन में रहनेवालों के लिए इस साल रक्षा बंधन का त्योहार बेहद खास था। हो भी क्यों न। आखिर तीन सालों के यहां रहनेवालों लोगों को अपने घर में रहकर इस त्योहार को सेलिब्रेट करने का जो मौका मिला था। पिछले तीन सालों से हर साल इस इलाके में स्वर्णरेखा नदी का पानी घुस जाने से लोगों को घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ता था। इस साल भी यहां ऐसी सिचुएशन पैदा हुई। स्वर्णरेखा नदी का जलस्तर बढ़ने से देर रात पानी इस इलाके में घुसा, पर कुछ घंटों बाद पानी के घटने से लोगों ने राहत की सांस ली और अपने घर में रहकर रक्षा बंधन सेलिब्रेट किया।

दोगुनी खुशी लाई राखी

शास्त्री नगर ब्लॉक नंबर तीन के रहने वाले मनोज और उसके भाई-बहनों के लिए इस बार रक्षाबंधन दोहरी खुशी लेकर आया। चार बहनों ने प्यार से भाई की कलाई पर राखी बांधी और वो भी अपने घर के छत तले। सिर्फ मनोज ही नहीं, घर में राखी बंधवाने का मौका मिलना इलाके में रहने वाले ज्यादातर लोगो के लिए बड़ी खुशी लेकर आई थी। पिछले तीन सालों से हर साल यहां पानी भरने की वजह से कई घर डूब जाते थे, और लोगो को बेघर होना पड़ता था। तीन साल तक खुले आसमान के नीचे भाई को राखी बांधने वाली शोभा ने बताया कि घर में पानी भर जाने की वजह से पास के ही कम्यूनिटी सेंटर में शरण लेना पड़ता था और वहां किसी तरह भाई की कलाई पर राखी बांधते थे। इस साल ऐसा नही हुआ और अपने ही घर में भाईयों को राखी बांधने का मौका मिला।

टूटने लगी थी उम्मीद

रक्षाबंधन से एक दिन पहले शुभम काफी खुश था। हर साल की तरह इस बार रक्षाबंधन के दिन मुहल्ले में पानी भरने और बेघर होने की आशंक नजर नही आ रही थी। उसे पूरी उम्मीद थी की इस बार राखी का त्योहार बहनों के साथ मनाने का मौका मिलेगा, पर रात करीब दो बजे अचानक उम्मीद टूटनी शुरु हो गई। मुहल्ले में पानी घुसना शुरु हो गया था। सुबह चार बजे तक कुछ घरों में पानी भी घुसा था। शुभम ने बताया की उसे लगा की इस बार भी रक्षाबंधन घर में मनाना नसीब नही होगा, पर कुछ घंटो बाद उम्मीद फिर बंधी, पानी का लेवल धीरे-धीरे घटने लगा। ब्लॉक नंबर तीन निर्मल कॉलोनी के रहने वाले मुकेश ने बताया कि करीब दस बजे तक पानी इलाके से निकल चुका था। इस वजह से मुहल्ले के लोगों ने राहत की सांस ली।