ऐसा हुआ कुछ

दरअसल, ये जनाब जब पहली बार बारात लेकर अपनी दुल्हन के दरवाजे पर पहुंचे तो प्रशासन ने इनको वरमाला नहीं पहनाने दी। कारण था कि दुल्हन अभी नाबालिग थी। ये मामला है छत्तीसगढ़ के महासमुद्र का। यहां पांच महीने पहले लड़की के दरवाजे पर गाजे-बाजे के साथ बारात आई। उस समय प्रशासन की हिदायत के चलते बारात को बिना दुल्हन के ही विदा होना पड़ा। दरअसल लड़की के नाबालिग होने की वजह से प्रशासन ने उस वक्त उसकी शादी को रुकवा दिया था।

फिर आई जब बारात

पांच महीने बाद लड़की के बालिग होने पर लड़की के दरवाजे पर एक बार फिर बारात आई। इस बार शादी की सभी रस्में हंसी-खुशी निभाई गईं। आखिर में पूरे विधि-विधान के साथ शादी हुई। वैसे बात करें ऐसे मामलों की तो जिले में इस तरह का ये अभी पहला मामला है। शादी को रोकने की बात करें तो बताया गया कि उस वक्त सबसे ज्यादा मेहनत लड़की की मां को मनाने में की गई। बताते हैं कि उनको राजी करने में प्रशासनिक अफसरों के पसीने तक छूट गए थे। बहुत मेहनत के बाद दोनों पक्षों के लोग इस बात को मान गए। आखिर में दोनों ही पक्षों ने कानून का सम्मान करते हुए उनकी शादी के लिए उनके बालिग होने का इंतजार करने की बात कही।

पांच महीने में एक ही बारात आई दो बार,दूल्‍हा भी वही,बाराती भी सेम

महिला बाल विकास विभाग ने दिया उपहार भी

सिर्फ यही नहीं बालिग होने के बाद शादी करने पर महिला बाल विकास विभाग ने लड़की को बतौर उपहार पांच हजार रुपये भी दिए। इस मामले के बाद से पूरे महासमुद्र में हर कोई अब अवेयर हो चुका है। अवेयर अपनी बेटी के बालिग होने पर ही शादी कराने को लेकर। यहां के हर परिवार ने इस मामले से सीख ली है। आसपास लोगों का कहना है कि अब वो भी अपनी बेटियों की शादी को लेकर उनके बालिग होने का इंतजार करेंगे।

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