क्कन्ञ्जहृन्: पटना यूनिवर्सिटी के साइंस कॉलेज में नेशलन डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना की जाएगी। इसकी औपचारिक घोषणा पटना यूनिवर्सिटी शताब्दी वर्ष के समापन समारोह में पीयू वीसी डॉ रास बिहारी प्रसाद सिंह ने की। उन्होंने कहा कि यह सेंटर देश भर में डॉल्फिन रिसर्च के लिए अपनी तरह का पहला सेंटर होगा। इसके लिए राज्य

सरकार की स्वीकृति मिल चुकी है। रिसर्च सेंटर का भवन पटना साइंस कॉलेज में बनाया जाएगा। जानकारी हो कि इसके लिए पद्मश्री एवं डॉल्फिनमैन के नाम से विख्यात डॉ आरके सिन्हा ने वर्ष 2013 से पहल की थी।

रिसर्च के सेंटर

में हैं गंगा

दैनिक जागरण आई नेक्स्ट से खास बातचीत में डॉल्फिनमैन डॉ आरके सिन्हा ने कहा कि यह सेंटर डॉल्फिन के संरक्षण के साथ-साथ इसके वास स्थान, डॉल्फिन के जेनेटिक, गंगा नदी के इकोलॉजी, हाइड्रोलॉजी, जियोलॉजी, प्रदूषण, पानी की कमी आदि सभी पर काम करेगा। यह कह सकते हैं कि इसके रिसर्च में गंगा सेंटर में है।

नदी के स्वास्थ्य का है दर्पण

डॉ आरके सिन्हा ने बताया कि डॉल्फिन सामान्य जीव नहीं है। यह वहां रहता है जहां पानी साफ- वच्छ हो। इसलिए यह नदी के स्वास्थ्य का दर्पण है। इसका संरक्षण नदी जल के गुणवत्ता का इंडिकेटर है। डॉल्फिन बेहद सामाजिक जीव है और इसका संरक्षण नदी के कई पहलुओं के बारे में अवगत होने का मौका देता है। इस सेंटर के शुरू होने से देश भर के रिसर्चर इसमें अपना योगदान करेंगे। डीन स्टूडेंट वेलफेयर डॉ एनके झा ने कहा कि नेशलन डॉल्फिन रिसर्च सेंटर की स्थापना यूनिवर्सिटी में की जा रही है।

नेशनल डॉल्फिन रिसर्च सेंटर सिर्फ डॉल्फिन नहीं बल्कि गंगा के इकोलॉजी, प्रदूषण, पानी की कमी को भी शामिल करेगा। यह सेंटर ऑफ एक्सलेंस होगा।

-डॉ आरके सिन्हा, डॉल्फिन रिसर्चर एवं वीसी एनओयू