-मगध यूनिवर्सिटी के 102 कॉलेजों की मान्यता रद, ग्रेजुएट होने से पहले लगा ग्रहण, आरएलएसवाई कॉलेज में की गई तालाबंदी

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क्कन्ञ्जहृन्: मगध यूनिवर्सिटी के निर्णय से पार्ट थर्ड के करीब 88 हजार से अधिक स्टूडेंट्स परेशान हैं। पहले इन स्टूडेंट्स से परीक्षा फॉर्म भरवाया जाता है और जब परीक्षा देने की बारी आती है तो कॉलेज की मान्यता ही रद कर दी जाती है। एक साथ मगध यूनिवर्सिटी की ओर से करीब 102 कॉलेजों की मान्यता रद होने से बड़ी संख्या में स्टूडेंट्स के करियर पर ग्रहण लग गया है। इन कॉलेजों के स्टूडेंट्स एक अक्टूबर से पार्ट थर्ड की परीक्षा में शामिल नहीं होने की वजह से आंदोलन कर रहे थे। इसे लेकर बीते दिनों एमयू मुख्यालय बोधगया में स्टूडेंट्स ने जबरदस्त प्रदर्शन भी किया। आखिरकार एमयू प्रशासन ने पार्ट थर्ड की परीक्षा स्थगित कर दी है। इधर शनिवार को गया से लेकर पटना तक स्टूडेंट्स ने उग्र आंदोलन किया। गया में पर्यटन विभाग की बस जलाई गई और पितृपक्ष मेले की सुरक्षा में लगी पुलिस शिविर में आग लगा दी गई। जबकि पटना में आरएलएसवाई कॉलेज, अनिशाबाद में तालाबंदी की गई। इसके अलावा एमयू के शाखा कार्यालय के सामने आगजनी की गई।

एमयू ने बताया कोर्ट का दबाव

जब एमयू के इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज डॉ बीरेंद्र कुमार से दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने बात की तो उन्होंने बताया कि मान्यता रद कॉलेजों में कई कमियां पायी गई थी। लेकिन हाईकोर्ट ने एमयू को निर्देश दिया कि कमियां पाए गए कॉलेजों पर कड़ी कार्रवाई की जाए, मान्यता रद की जाए। इस तरह कुल 102 कॉलेजों की मान्यता रद की गई। एएन कॉलेज के छात्र संघ के पूर्व सचिव चंदन भास्कर ने कहा कि यह एमयू प्रशासन को तय करना चाहिए कि मान्यता रद होने से स्टूडेंट्स का समय बर्बाद न हो।

वंचित करने पर उग्र हुए छात्र

मगध यूनिवर्सिटी के अंतर्गत कुल 102 कॉलेजों की मान्यता रद् कर दी गई है। इधर, यूनिवर्सिटी के द्वारा परीक्षा तिथि एक अक्टूबर से घोषित कर मान्यता रद्द कॉलेजों के छात्रों को परीक्षा देने से वंचित किया जा रहा है। शनिवार को इस मामले पर छात्र उग्र हो गए और दीघा स्थित बीएस कॉलेज के पास जमकर आगजनी की गई। आंदोलन का नेतृत्व जन अधिकार छात्र परिषद ने किया। परिषद के अध्यक्ष गौतम आनंद ने कहा कि एमयू के इस फैसले के कारण 88 हजार छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। जो छात्र पार्ट वन, पार्ट टू की परीक्षा पास कर चुके हैं, वे अब कहां जाएंगे? एमयू वीसी जवाब दें।

प्रभावित स्टूडेंट्स की परीक्षा ली जाए या नहीं, यह कोर्ट के आदेश से ही संभव हो सकता है। इस बारे में

पहले से कोई निर्णय नहीं लिया जाएगा। कोर्ट के फैसले का सम्मान करेंगे।

-डॉ बीरेंद्र कुमार, इंस्पेक्टर ऑफ कॉलेज, एमयू