- झूलेलाल वाटिका में चल रहे गणेशोत्सव का भूविसर्जन के साथ समापन

LUCKNOW :

गणपति बप्पा मोरिया अगले बरस तू जल्दी आ, देवा हो देवा गणपति देवा तुमसे बढ़कर कौन, सच्चा है तेरा दरबार तेरा जवाब नहीं जैसे भजनों संग निकली गणपति विसर्जन यात्रा में भक्त ढोल-बाजे पर नाचते चल रहे थे। यह नजारा रविवार को राजधानी की सड़कों पर देखने को मिला। श्री गणेश प्राकट्य कमेटी की ओर से पिछले 11 दिनों से झूलेलाल वाटिका में चल रहे गणेशोत्सव का रविवार को समापन हो गया।

भव्य श्ाोभायात्रा

विसर्जन से पूर्व पंडाल में आचार्यो ने वैदिक मंत्रोच्चार के साथ भगवान गणेश की पूजा की। उसके बाद शोभायात्रा शुरू हुई। जिसमें दो पहिया वाहनों में अबीर-गुलाल उड़ाते युवाओं की टीम चल रही थी। वहीं शोभायात्रा में हाथी, घोड़े, बैंड, डीजे के साथ संजय शर्मा और उनके साथी भजन गाते चल रहे थे।

झांकियां बनी आकर्षण

इसके अलावा शोभायात्रा में रथ पर पंचमुखी हनुमान, राधाकृष्ण, राम सीता, मां दुर्गा, सरस्वती, शंकर, गणेश आदि देवी देवताओं की झांकियां लोगों को आकर्षित कर रही थीं। जगह-जगह यात्रा का अबीर गुलाल और पुष्प वर्षा कर स्वागत किया गया।

इस मार्ग से गुजरी यात्रा

शोभायात्रा झूलेलाल वाटिका से प्रारम्भ होकर विवि मार्ग से होते हुए आईटी चौराहा, रामकृष्ण मठ, शंकर नगर चौराहा, नजीरगंज, डालीगंज होते हुए झूलेलाल घाट पर समाप्त हुई। यहां पूरी वैदिक परम्परा के अनुसार भगवान गणेश की प्रतिमा का भू विसर्जन किया गया। इस मौके पर संरक्षक भारत भूषण गुप्ता, देशराज अग्रवाल, राजेश बंसल, मुकेश शुक्ला, अमित गर्ग, रवि प्रकाश अग्रवाल, आदि मौजूद रहे।

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हाइड्रोलिक रथ पर गणपति

शोभायात्रा में भगवान गणेश का हाइड्रोलिक रथ आकर्षण का केंद्र रहा। 14 फीट ऊंचे फूलों से सजे रथ पर बप्पा विराजे। वहीं जहां तारों का जाल दिखा वहां पर रथ नीचे कर लिया गया। रथ से आचार्यो और कमेटी के सदस्य भक्तों को प्रसाद बांटते चल रहे थे। कमेटी के संरक्षक भारत भूषण गुप्ता ने बताया कि 11 दिन चले उत्सव में मनौतियों के राजा के नाम लगभग 95 हजार चिट्ठी भक्तों ने लिखीं। इनका भी गणपति के साथ भूविसर्जन ि1कया गया।

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गोमा तट पर विसर्जन

कुडिया घाट, झूलेलाल वाटिका, खाटू श्याम घाट आदि कई गोमती के घाट पर सैकड़ों गणपति बप्पा की प्रतिमा का विसर्जन किया गया। राजधानी के घरों व पंडालों में विराजे गणपति का शोभायात्रा के साथ विसर्जन किया गया। नाविकों के अनुसार संडे को करीब छह सौ से अधिक गणपति प्रतिमाओं विसर्जन झूलेलाल वाटिका के पास किया गया। वहीं पूरे शहर में तकरीबन एक हजार गणपति प्रतिमाएं गोमा में विसर्जित की गई।