जो कॉलेजों की हकीकत छुपाकर, झूठी तारीफ करके स्टूडेंट्स को एडमिशन लेने के लिए मजबूर करते हैं। इसके एवज में इन एजेंट्स को मोटी रकम मिलती है। बताते हैं आपको किस तरह चल रहा है कॉलेजों का ये गोरखधंधा

ऐसा क्यों हो रहा है

बीते कुछ सालों में मेरठ और एनसीआर का एरिया एजुकेशनल हब के तौर पर डेवलप हुआ है। यहां पर कॉलेजों की संख्या में हद से ज्यादा इजाफा हुआ है। दूसरी ओर स्टूडेंट्स की पासिंग परसेंटेज बढ़ गई है और सब को सरकारी कॉलेजों में एडमिशन भी नहीं मिल पाता। पर पैसे की अंधी दौड़ में क्वालिटी ऑफ एजुकेशन गायब हो गई। अब कॉलेजों को सिर्फ अपने स्टूडेंट्स की संख्या बढ़ाने से मतलब है। ताकि वो लाभ कमा सकें।

Agent hire

स्टूडेंट्स की गिनती बढ़ाने के लिए प्राइवेट कॉलेजों ने एडमिशन एजेंट हायर किए हैं। मेरठ में सिर्फ तीन से चार नामी कॉलेज ऐसे हैं जिन्होंने एजेंट्स हायर नहीं किए। गंगानगर के एक कॉलेज के एजेंट ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि उसे एक एडमिशन के लिए तीन से दस हजार रुपए मिलते हैं। इसके लिए उसे सिर्फ स्टूडेंटस को अपनी सेटिंग वाले कॉलेज में पढऩे के लिए मनाना होता है।

पढ़ाई बंद

शहर के अधिकतर कॉलेज साल भर तो टीचर्स से पढ़ाई करवाते हैं। पर एडमिशन टाइम पर सब कुछ बंद कर दिया जाता है। टीचर्स को भी नए सेशन के लिए स्टूडेंटस लाने का ऑर्डर दे दिया जाता है। कई कॉलेज तो ऐसे भी हैं जहां पर ये टारगेट पूरा ना होने पर टीचर्स को नौकरी तक से निकाल दिया जाता है।

दूसरे शहर में ड्यूटी

गंगानगर के ही कॉलेज एक शिक्षक ने नाम ना छापने की शर्त पर बताया कि संस्थान के मालिक ने उसकी ड्यूटी दूसरे शहर में लगा रखी है। उसकी टीम को कम से कम 50 एडमिशन का टारगेट दिया गया है। इन टीचर्स को एडमिशन के एवज में सिर्फ नौकरी की सुरक्षा मिलेगी ना कि कोई कमिशन।

स्टूडेंट्स की भी कमाई

गढ़ रोड़ के एक कॉलेज में पढऩे वाले बीसीए के स्टूडेंट जय का कहना है कि उसे अपने कॉलेज में नए बच्चों का एडमिशन कराने के बदले में दो से पांच हजार रुपए मिलते हैं।

Setting with coaching institute

कॉलेजों की सबसे गंदी चाल तो कोचिंग संचालकों के साथ मिलकर चली जाती है। भोले भाले स्टूडेंटस जो कोचिंग संस्थानों में तैयारी करते हैं। कोचिंग संस्थान वाले उन्हें ऐसे ही कॉलेजों में एडमिशन दिलवा देते हैं। कई कोचिंग संस्थान वालों ने ये माना कि कॉलेज उनको पैसे से लेकर गिफ्ट आइटम तक का लालच देते हैं।

इस तरह करवाया एडमिशन

सचिन का कहना है कि मेरे दोस्त गौरव का बाइपास स्थित कए कॉलेज में एमकॉम में एडमिशन होना था। लेकिन मुझे पता था कि कॉलेजों में कमिशन बेस पर एडमिशन होते हैं। मैं गया और एक एडमिशन की पेशकश की और अपना कमिशन तय किया। उसके बाद दोस्त को बुलाया। एडमिशन फीस 40 हजार थी। जिसमें से 20 हजार मैंने अपने कमिशन के लिए। ये पैसे मैंने अपने दोस्त को वापस कर दिए। और उसकी एमकॉम सिर्फ 20 हजार में पूरी हो गई।

"हाल ही में गंगानगर, बागपत रोड, गढ़ रोड और एनसीआर के कुछ कॉलेजों ने मुझे एप्रोच किया। उन्होंने स्टूडेंटस के एक साल की फीस यानी 80 हजार रुपए मुझे कमिशन के रूप में ऑफर किए। मैं अपने स्टूडेंटस को हमेशा गर्वमेंट कॉलेजों में जाने की सलाह देता हूं। ऐसे लोगों के खिलाफ अभियान चलाने की जरुरत है."

विजय अरोड़ा, गुरु द्रोणाचार्य

"आज की डेट में अधिकतर कॉलेज ऐसे ही हैं जिनमें बच्चों को अंधेरे में रखकर एडमिशन कराए जा रहे हैं। पहले तो स्टूडेंट एडमिशन ले लेता है। लेकिन बाद में उसकी लाइफ खराब हो जाती है। हम लोगों के पास भी एक एडमिशन के 25 हजार तक और मेडिकल कॉलेजों में एडमिशन के लिए लाखों का ऑफर आता है."

परमवीर, कोचिंग सेंटर संचालक

"मार्केट में कॉलेज इस तरह खुले चुके हैं जैसे कि किराने की दुकान हो। कॉलेज भी दुकानदार की तरह बच्चों को लालच देकर सिर्फ एडमिशन नंबर बढ़ाना चाहते हैं। हमारे पास भी रोज नए नए कॉलेजों से ऑफर आता है कि एडमिशन करा दो, आपको भी कट मिलेगा। लेकिन हम ऐसा नहीं करते। जहां बच्चे को जाना है जाए हम कोई पाबंदी नहीं लगाते हैं."

संजय अरोड़ा, कोचिंग सेंटर संचालक

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