- दोनों अंडरव‌र्ल्ड डॉन कर रहे आईएसआई के लिए फंडिंग

- थाइलैंड के बाद श्रीलंका और बर्मा को भी बनाया रूट

- आधा दर्जन से ज्यादा आईएसआई एजेंट एटीएस के राडार पर

ashok.mishra@inext.co.in

LUCKNOW: यूपी एटीएस और राजस्थान पुलिस के हत्थे चढ़े आईएसआई एजेंट जमालुद्दीन और खुर्शीद अंडरव‌र्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और जावेद चिकना के लिए काम कर रहे थे। दोनों भाई अफ्रीका में दाऊद और जावेद के करीबियों के संपर्क में आए थे। दोनों का इस तरह ब्रेनवॉश किया गया कि वे देशविरोधी गतिविधियों को अंजाम देने को तैयार हो गये। एटीएस पिछले दो साल से दोनों की हरकतों पर नजर रख रही थी। दोनों भाईयों को पकड़ने से पहले उसके बारे में हर छोटी-बड़ी जानकारी एटीएस ने खंगाली, जिसके बाद उन्हें आसानी से दबोच लिया गया।

अफ्रीका में बनाया नेटवर्क

एटीएस के सूत्रों की माने तो मिडिल ईस्ट देशों में बढ़ती सख्ती के बाद दाऊद और जावेद चिकना ने अफ्रीका के देशों में अपनी जड़े जमानी शुरू कर दी है। दोनों आईएसआई के लिए फंडिंग का काम कर रहे हैं और उनके निशाने पर अफ्रीका में रहने वाले भारतीय मूल के कामगार हैं। दक्षिण अफ्रीका की राजधानी जोहानसबर्ग में उनका खासा नेटवर्क फैल चुका है। उनके करीबी अन्य देशों में भी इस नेटवर्क को तेजी से फैला रहे है। जांच में यह भी सामने आया है कि थाईलैंड के अलावा अब श्रीलंका, बांग्लादेश और बर्मा में भी यह नेटवर्क तेजी से अपने पांव पसार रहा है। एटीएस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने इसकी पुष्टि की है। उन्होंने बताया कि जमालुद्दीन के अलावा करीब आधा दर्जन आईएसआई एजेंट अभी भी यूपी में सक्रिय हैं जिन्हें एटीएस अपने राडार पर ले चुकी है।

गोपनीय सूचनाएं भेज रहे थे

आईएसआई से मिलने वाले फंड का इस्तेमाल गोपनीय सूचनाएं एकत्र करने के लिए हो रहा था। जमालुद्दीन का काम राजस्थान से गिरफ्तार गोरधन सिंह को पैसे पहुंचाना था। इसके लिए उसे खुर्शीद लगातार निर्देश देता रहता था। दोनों इस काम को इतनी चालाकी से कर रहे थे कि एटीएस को उनका सुराग लगाने में दो साल का समय लग गया। सर्विलांस के दौरान यह भी पकड़ में आया कि खुर्शीद ने जमालुद्दीन को बैंक की जमा पर्ची में अपना सही मोबाइल नंबर नहीं देने को कहा। इससे पहले वह एक पर्ची पर अपना सही नंबर लिख आया था, जो एटीएस के हाथ लग गया और वहीं उसकी गिरफ्तारी की वजह भी बना।

भाजपा नेताओं की हत्या में शामिल

दाऊद इब्राहिम के खास जावेद चिकना का नाम पिछले साल गुजरात के भरुच में दो भाजपा नेताओं की हत्या में भी सामने आया था। इसके बाद एनआईए, आईबी और गुजरात एटीएस ने उसके भाई आबिद को नेपाल भागने की कोशिश करने के दौरान दबोच लिया था। इस मामले में भी आईएसआई का हाथ बताया जा रहा था। बाद में इस घटना के तार यूपी से भी जुडे़ थे।