RANCHI : चिकित्सकों पर हो रहे हिंसक हमले के विरोध में डॉक्टरों का गुस्सा फूट पड़ा है। सोमवार को सैकड़ों डॉक्टरों ने करमटोली स्थित आईएमए भवन के पास धरना-प्रदर्शन किया। दो घंटे के अहिंसक आंदोलन के दौरान डॉक्टरों ने अपने ऊपर हो रहे हमले को लेकर चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि अगर सरकार मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट को लागू नहीं करती है तो आंदोलन आगे भी जारी रहेगी। आईएमए के डॉ प्रदीप सिंह ने कहा कि मेडिकल प्रोटेक्शन एक्ट लागू करने को लेकर सेंट्रल गवर्नमेंट की इंटर मिनिस्ट्रियल कमिटी, आईएमए, एमसीआई और स्टेट हेल्थ गवर्नमेंट की ओर से अनुशंसा की जा चुकी है, फिर भी इसे लागू करने में कोताही बरती जा रही है।

दोषी साबित होने पर हो केस

धरना पर बैठे डॉक्टरों ने कहा कि अगर किसी मरीज की मौत को लेकर लापरवाही का आरोप लगाया जाता है तो इसकी जांच एक्सप‌र्ट्स की टीम से कराई जानी चाहिए। इसके अलावा जबतक मरीज की मौत की वजह डॉक्टरों द्वारा लापरवाही बरते जाने का आरोप सच साबित नहीं हो जाता है तबतक किसी तरह का केस थाने में दर्ज नहीं किया जाए। डॉक्टरों को पूरी सुरक्षा मिलनी चाहिए। मौके पर आईएमए के डॉ अमित मोहन, डॉ अजय सिंह, डॉ बीपी कश्यप, डॉ राज, डॉ चंद्रशेखर, डॉ विमलेश, डॉ एके शर्मा, डॉ रेखा रानी, डॉ अनंत सिन्हा, डॉ। विकास और डॉ। राजेश समेत कई अन्य मौजूद थे।

कोर्ट के आदेश का उल्लंघन

झारखंड में डॉक्टरों पर इलाज में लापरवाही का आरोप लगाकर केस किए जा रहे है यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है। कोर्ट अपने आदेश में यह तय कर चुकी है कि डॉक्टर पर तबतक केस दर्ज नहीं किया जा सकता, जबतक यह स्पष्ट न हो जाए कि इलाज में लापरवाही के कारण ही मरीज की मौत हुई है और इसकी जांच एक्सप‌र्ट्स की एक कमिटी बनाकर कराई जानी चाहिए।

नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने का विरोध

आईएमए के प्रदीप सिंह ने कहा कि केंद्र सरकार मेडिकल काउंसिल आफ इंडिया की जगह नेशनल मेडिकल काउंसिल बनाने की तैयारी कर रही है। यह सही कदम नहीं है। आईएमए का वजूद बरकरार रखा जाना चाहिए।

एग्जिट एग्जाम की पॉलिसी सही नहीं

डॉक्टरों ने एमबीबीएस के बाद एग्जिट एग्जाम लिए जाने के केंद्र सरकार के पॉलिसी का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि इस पॉलिसी को लागू करने चिकित्सकों के साथ अन्याय होगा।

झोलाछाप डॉक्टरों पर कसें शिकंजा

धरना दे रहे डॉक्टरों ने कहा कि एलोपैथिक इलाज के नाम पर झोलाछाप डॉक्टर न सिर्फ मरीजों को लूट रहे हैं, बल्कि उनकी वजह से उनकी जान तक जा रही है। सरकार को चाहिए कि झोलाछाप डॉक्टरों की पहचान कर उनके खिलाफ कड़ा एक्शन ले।

डॉक्टरों की खाली सीटें भरी जाए

सरकार नए मेडिकल कॉलेज खोलने की तैयारी कर रही है, लेकिन पहले से चल रहेमेडिकल कालेजों में ही 35 परसेंट डॉक्टरों की कमी है। जरूरत के हिसाब से आधे पारा मेडिकल स्टाफ्स काम कर रहे हैं ऐसे में सरकार को चाहिए कि पहले डॉक्टरों व पारा मेडिकल स्टाफ्स के खाली पदों को भरें।

एक देश, एक दवा व एक कीमत लागू हो

देश भर में दवाओं की अलग-अलग कीमतों को लेकर डॉक्टरों ने विरोध जताया। उन्होंने कहा कि दवाओं की अलग कीमतों के कारण मरीजों को काफी दिक्कत होती है। वहीं अलग-अलग दवाएं भी डॉक्टरों के लिए चुनौती है। इसलिए देश के हित में एक ड्रग और उसके लिए एक ही कीमत को लागू किया जाए।