3000 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली अग्नि-4 मिसाइल की तरह ही अग्नि-5 मिसाइल की कामयाबी के पीछे प्रोजक्ट  डायरेक्टार डॉक्टर टेसी थॉमस का अहम योगदान रहा है. उन्हें अग्नि पुत्री के नाम से जाना जाता है.

 

थॉमस इंजीनियरिंग ग्रेजुएट हैं कोझीकोड के त्रिशूर इंजीनियरिंग कॉलज से पढ़ाई पूरी के बाद थॉमस ने पुणे में डिफेंस इंस्टीट्यूट ऑफ एडवांस्ड टेक्नोलॉजी से एम.टेक किया. डीआरडीओ से जुड़ने के बाद भारतीय मिसाइल कार्यक्रम के जनक माने जाने वाले पूर्व राष्ट्र पति डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम ने थॉमस को अग्नि मिसाइल प्रोजेक्ट  से जोड़ दिया था.

 

वह 1988 से अग्नि सीरीज की मिसाइल परियोजनाओं से जुड़ी हैं और अग्नि-2 और अग्नि-3 की मुख्य टीम का भी हिस्सा थीं. कलाम को अपना इंस्पाइरेशन बताने वाली थॉमस कहती हैं, ‘जब मैंने यहां प्रवेश किया था, तब कलाम सर प्रयोगशाला के निदेशक थे. उन्होंने ही मुझे अग्नि परियोजना दी थी.’ अब थॉमस अग्नि-5 प्रोजेक्टश की अगुआई कर रही हैं और उनके साथ पांच अन्य महिला वैज्ञानिक भी काम कर रही हैं. डीआरडीओ में मिसाइल प्रोजेक्टर से जुड़े 250 वैज्ञानिकों में 20 महिला वैज्ञानिक हैं.

 

थॉमस 2008 में अग्नि सिस्टलम की प्रोजेक्ट् डायरेक्ट्र बनीं. उसी समय उन्हें अग्नि-2 का नेतृत्व करने की जिम्मेदारी दी गई थी. वर्ष 2009 में उन्हें अग्नि-4 का प्रोजेक्टस डायरेक्टनर बनाया गया. थॉमस किसी भारतीय मिसाइल प्रोजेक्टर की पहली महिला डायरेक्टेर हैं. 45 वर्षीय थॉमस को 1988 से अग्नि मिसाइल प्रोग्राम से जुड़ने के बाद से ही ‘अग्नि पुत्री’ के नाम से भी जाना जाता है.

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