- 15 दिन पहले ही उनका नाम आया था सामने

- मोर्या को राज्यपाल बनाए जाने पर जश्न में डूबी ताजनगरी

आगरा। केंद्र सरकार ने आगरा की पूर्व मेयर बेबी रानी मौर्य को उत्तराखंड का राज्यपाल बनाकर ताज नगरी का मान बढ़ाया है। बेबी रानी मोर्य ने वर्ष 2017 में हुए विधानसभा में छावनी से टिकट मांगी थी, लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली, लेकिन अब उन्हें बडे़ पद से नवाजा गया है। इस कामयाबी से शहर में जश्न का माहौल है। भाजपाई उनके घर पर पहुंचकर खुशी का इजहार कर रहे हैं। अब उन्हें आगरा की पहली महिला राज्यपाल के रूप में जाना जाएगा।

1995 में बनीं थीं मेयर

बेबी रानी मोर्य वर्ष 1995 में भाजपा की मेयर बनीं थी। पार्टी में उनकी सक्रियता जारी रही। सामाजिक कार्यो में वे काफी रुचि लेतीं हैं। करीब 15 दिन पहले ही उन्हें उत्तर प्रदेश बाल आयोग की सदस्य बनाया गया है।

मेयर बनने के साथ ही शुरू की राजनीति

बेबी रानी मोर्य का मेयर बनने से पहले कोई राजनैतिक कैरियर नहीं था। बालूगंज में रहने वाली मोर्य पीएनबी में अधिकारी रहे प्रदीप कुमार मौर्य की पत्नी हैं। वर्ष 1995 तक राजनीति से वास्ता नहीं था। वह गृहणी ही थी। 1995 में आगरा का मेयर पद अनुसूचित जाति की महिला के लिए सुरक्षित होने पर उनको भाजपा ने टिकट दिया गया और वह विजयी रहीं। पांच साल तक मेयर रहकर उन्होंने शहर के विकास के लिए प्रयास किए। वर्ष 2002 में इन्हें राष्ट्रीय महिला आयोग का सदस्य नियुक्त किया गया। इस पद पर उनका कार्यकाल चार साल रहा। इसके बाद विधानसभा चुनाव में इन्हें एत्मादपुर सीट से भाजपा ने चुनाव लड़ाया, हालांकि वह पराजित रहीं। जनहित के लिए संघर्ष करने की वजह से पार्टी के अनुसूचित मोर्चा में भी पदाधिकारी रहीं। उनका मायका भी आगरा के पंजा मदरसा मोहल्ले में ही हैं।

15 दिन पहले उनके नाम की शुरू हुई थी चर्चा

पूर्व मेयर बेबी रानी मौर्य का नाम राज्यपाल के लिए 15 दिन पहले ही चर्चा में आया था। इसके साथ ही हाईकमान ने स्थानीय प्रशासन, जांच एजेंसियों एवं पार्टी से जुड़े कुछ वरिष्ठ नेताओं से भी फीड बैक लिया गया था। पार्टी हाईकमान ने वरिष्ठ नेताओं से मौर्य के मेयर कार्यकाल के दौरान उनकी उपलब्धियों के बारे में हाईकमान को उपलब्ध करा दी थी। इसके अलावा अन्य एजेंसियों से भी मौर्य की छवि के बारे में इनपुट लिया गया था।