-मेडिकल कॉलेज के इंस्पेक्शन के दौरान स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन ने लगाई फटकार

कहा-कहीं ना कहीं है गड़बड़ी, दोबारा आऊंगा तो ठीक कर दूंगा

GORAKHPUR: बीआरडी मेडिकल कॉलेज में सोमवार की सुबह स्वास्थ्य मंत्री पहुंचे तो सभी की सांस अटकी हुई थी। हर किसी को डर था कि कहीं कोई पेशेंट या तीमारदार स्वास्थ्य मंत्री से उनकी कलई न खोल दे, नहीं तो उनके ऊपर गाज गिर जाएगी। इससे बचते-बचाते अस्पताल प्रशासन उनके आगे-पीछे लगा हुआ था। इस बीच पिडियाट्रिक इमरजेंसी में भर्ती एक चार साल के बच्चे की मां से स्वास्थ्य मंत्री सवाल पूछने लगे। उसके उदासी भरे चेहरे को देखकर मंत्री ने अधिकारियों से कहा-अगर यहां ढंग से इलाज हो लोग खुश रहते, मुस्कुराते।

बीच में काट दी बात

जब स्वास्थ्य मंत्री अहमद हसन इंसेफेलाइटिस वार्ड में पहुंचे तो वार्ड के बाहर बेड पर खोराबार एरिया के निवासी भग्गू की पत्नी अपने पांच साल के बेटे रिंकू को दवा पिला रही थी। मंत्री ने उससे पूछा कि दवा बाहर से तो नहीं खरीदनी पड़ रही है? महिला के पति ने कहा कि कुछ ही दवा मिलती है और अन्य दवाइयां बाहर से लानी पड़ती हैं। इस बीच मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ। आरपी शर्मा भग्गू की बात काटते हुए स्वास्थ्य मंत्री को पीडियाट्रिक इमरजेंसी लेकर पहुंच गए। यहां डॉक्टर्स को बैठने के लिए कुर्सियां लगी हुई थी। यह देख स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि सीनियर डॉक्टर्स प्राइवेट प्रैक्टिस करते हैं। इनकी ड्यूटी बदल दी जाए और इनसे काम लिया जाए। रात के बजाए वह दिन में ड्यूटी करें। सरकार गरीबों के इलाज के लिए पैसा देती है ऐश के लिए नहीं।

पीडियाट्रिक में भी बुरा हाल

झंगहा एरिया के जगदीशपुर के राजेश का बेटा मोनू चार साल बेड पर पड़ा था। उसका शरीर पीला पड़ गया था। राजेश की पत्नी अपने बेटे को देख रही थी, बेटे की बीमारी से वह भी उदास थी। तभी वहां पहुंचे स्वास्थ्य मंत्री ने पूछा कि दवाइयां अस्पताल से मिल जाती हैं कि बाहर से लानी पड़ती हैं? जवाब में वह कतराने लगी और बोली कि मेरे पति बाहर गए हैं, वही बता पाएंगे। इस पर मंत्री जी चौंक गए। तभी एक डॉक्टर ने कहा कि यहां हर तरह के पेशेंट आते हैं। घूरते हुए मंत्री जी ने कहा कि कहीं ना कहीं गड़बड़ी है। यदि सबकुछ ठीक होता तो मरीजों के साथ आये तीमारदारों के चेहरे पर खुशी होती। डॉक्टरों को सख्त हिदायत देते हुए कहा कि यदि इलाज में किसी भी तरह की लापरवाही की शिकायत मिली तो दोबारा आऊंगा तो ठीक कर दूंगा।

मरीजों का हाल जानने आया हूं

स्वास्थ्य परिवार कल्याण, मातृ एवं शिशु कल्याण मंत्री अहमद हसन और प्रमुख सचिव चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अरविंद कुमार ने 100 शैय्या वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड का जायजा लिया। वार्डो में हर तरफ इंसेफेलाइटिस के शिकार मासूम थे। बेडों पर इस कदर पेशेंट पड़े थे कि सभी की सांसे अटकी हुई थीं। इस मंजर को देख कर कइयों की रूह कांप उठी। मंत्री जी भी इस हकीकत से इंकार नहीं कर सके। उन्होंने कहा कि नेपाल और गोरखपुर से सटे जिले इस बीमारी से प्रभावित है। पहले की अपेक्षा इस बार कुछ हद तक मौतों की संख्या पर नियंत्रण हुआ है, लेकिन अभी बहुत कुछ बाकी है।

डेंगू पर नहीं जापानी इंसेफ्लाइटिस पर बोलूंगा

मंत्री जी ने कहा कि डेंगू पर नहीं जापानी इंसेफ्लाइटिस पर बोलने आया हूं। जेई और एईएस की जांच के लिए सरकारी अस्पतालों में अलग से लैब खोले गए हैं। वहीं गोरखपुर और बस्ती मंडल में प्रभावी आईसीयू खोली जा रही है। डॉक्टर इस बीमारी से युद्ध स्तर पर लड़े कहीं भी कोई कमी नहीं आनी चाहिए। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने यहां की कुछ कमियां गिनाई हैं, उसे दूर कर लिया जाएगा। इलाज में धन और संसाधन की कमी आने नहीं दी जाएगी।

एक स्थान पर मिलेगी जांच की सुविधा

बीआरडी मेडिकल कॉलेज में स्वास्थ्य मंत्री ने ट्रॉमा सेंटर के सेंट्रल पैथालॉजी का जायजा लिया। इसके बाद वह पुणे के एनआईवी सेंटर पहुंचे। यहां पर इंसेफेलाइटिस पर हो रहे रिसर्च और जांच के बारे में जानकारी ली। उन्होंने कहा कि 15 नवंबर से जेई, एईएस समेत विभिन्न जांच एक ही छत के नीचे हो गई। सरकार इसके लिए धन दे रही है। इलाज में पैसा आड़े हाथ नहीं आएगा। सरकार के पास बहुत पैसा है।

11.00 बजे 100 शैय्या वाले इंसेफेलाइटिस वार्ड

11.15 बजे इंमरजेंसी वार्ड

11.30 बजे आईसीयू

11.45 बजे सामान्य चिकित्सा कक्ष

12.00 बजे पीडियाट्रीक इमरजेंसी

12.10 बजे पैथॉलोजी लैब

12.15 बजे ट्रामासेंटर जांच केंद्र

12.25 बजे पुणे की एनआईवी गोरखपुर इकाई का इंस्पेक्शन

12.30 बजे ऑडिटोरियम हाल में डॉक्टरों के साथ बैठक

1.00 बजे जिला अस्पताल के लिए रवाना

1.20 बजे जिला अस्पताल के आईसीयू व इंसेफेलाइटिस वार्ड का जायजा

1.45 बजे महिला अस्पताल के अल्ट्रासाउंड सेंटर का निरीक्षण

2.00 बजे सर्किट हाउस में डॉक्टर्स के साथ समीक्षा बैठक