भारतीय पुलिस सेवा के अधिकारी भट्ट पिछले 18 दिनों से न्यायिक हिरासत में थे। भट्ट ने सुप्रीम कोर्ट में मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के ख़िलाफ़ याचिका दाख़िल करते हुए ये दावा किया था कि 2002 के दंगों में मुख्यमंत्री की सक्रिय भूमिका थी।

संजीव भट्ट के वकील आईएच सईद ने कहा कि वो कुछ ही घंटों में जेल से रिहा हो जाएंगे। संजीव भट्ट को दंगों में नरेंद्र मोदी की भूमिका पर कथित ग़लत शपथ पत्र देने और उसके लिए अपने मातहत काम करने वाले अधिकारी केडी पंत पर दबाव बनाने के आरोप में गिरफ़्तार किया गया था।

दबाव

केडी पंत ने आरोप लगाया था कि दंगे शुरू होने के पहले यानि 27 फ़रवरी को नरेंद्र मोदी के निवास स्थान पर कथित तौर पर जो कुछ हुआ था उसके गवाह बनने के लिए संजीव भट्ट ने उन पर दबाव बनाया था। गुजरात में 28 फ़रवरी से दंगे हुए थे जिसे कई हलक़ों में प्रायोजित बताया जाता है।

संजीव भट्ट की गिरफ़्तारी का व्यापक विरोध हुआ था। हालांकि वो पहले अलग-थलग पड़े दिखे थे लेकिन बाद में गुजरात के भारतीय पुलिस सेवा अधिकारी संघ ने उनका समर्थन करने की बात कही थी।

सवाल

कहा गया था कि नरेंद्र मोदी हर उस अधिकारी या सामाजिक कार्यकर्ता को किसी न किसी मामले में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं जिसने उनके ख़िलाफ़ आवाज़ उठाई है। हालांकि कुछ हलक़ों में ये भी पूछा गया था कि आख़िर इतने सालों चुप रहने के बाद संजीव भट्ट ने अब जाकर आवाज़ क्यों उठाई?

संजीव भट्ट ने जवाब में कहा था उन्होंने ये बातें सुप्रीम कोर्ट के ज़रिए गठित विशेष जांच दल के सामने भी कही थी लेकिन उसकी कोई सुनवाई नहीं हुई।

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