- शहर में वायु प्रदूषण खतरनाक स्तर पर, सांस, फेफड़े के रोगियों में 40 परसेंट तक का इजाफा

- हर दिन जहरीली होती जा रही है शहर की आबोहवा

VARANASI

यदि मार्निग वॉक पर निकल रहे हैं यह सोचकर की सुबह-सुबह हवा का झोंका सेहत के लिए फायदेमंद होगा तो आप अपने दिल के साथ धोखा कर रहे हैं। सुबह चाहे शाम हर वक्त आप ऑक्सीजन के साथ जहर भी ले रहे हैं। खुद को तंदरूस्त रखने की चाहत में आप अपने दिल में हर रोज जहर भर रहे है। ऐसा हम नहीं बल्कि डॉक्टर्स कह रहे हैं। इसी तरह बढ़ते पॉल्यूशन पर यदि कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई तो आने वाले समय में स्थिति और भी विकट हो जाएगी। हर दिन बढ़ते पॉल्यूशन के चलते हार्ट रोगियों की संख्या पिछले एक मंथ में ब्0 से ब्भ् परसेंट तक बढ़ गई है। बीएचयू से लगायत मंडलीय, डिस्ट्रिक्ट हॉस्पिटल्स से लेकर प्राइवेट हॉस्पिटल्स में चेस्ट, सांस रोगियों की संख्या बढ़ती ही जा रही है। मरीजों की बढ़ती तादाद को देखते हुए चिकित्सकों ने बनारस में हेल्थ इमरजेंसी घोषित करने की मांग की है।

बीमार हो रहा शहर

काशी की आबोहवा इतनी जहरीली हो गयी है कि यूपी में नंबर वन का खिताब मिल गया। लेकिन फिर भी कॅल्यूशन की रोकथाम पर उचित कार्रवाई नहीं हुई। अक्टूबर फ‌र्स्ट वीक से ही शहर की बीमार होने लगा। फ‌र्स्ट वीक में ही पीएम-क्0 और पीएम ख्.भ् के आंकड़े विश्व स्वास्थ्य संगठन के घोषित मानक (भ्0 और ख्भ् माइक्त्रोग्राम प्रति घन मीटर) की तुलना में क्रमश: तीन व पांच गुना बढ़ चुके थे। अक्टूबर सेकेंड वीक में यह प्रदूषक क्0 से क्ब् गुना बढ़ गए। पिछले क्भ् दिनों में यह आंकड़े बेतहाशा बढ़ गये हैं। बावजूद बिगड़ती इन स्थितियों पर कंट्रोल के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

धूल और वाहन से हालात बेकाबू

शहर में जिधर भी नजर घुमा लीजिए सिर्फ और सिर्फ खोदी हुई सड़क की उड़ती धूल का गुबार ही मिलेगा। बची कसर नगर निगम पूरा कर दे रहा है कूड़े-करकट में आग लगाकर। ध्वस्त ट्रैफिक व्यवस्था के चलते कदम- कदम पर लगने वाले जाम के कारण डीजल व पेट्रोल वाहनों से निकलने वाले काले धुएं वायु प्रदूषण को बढ़ाने में और भी कारगर साबित हो रहे हैं। इन पर लगाम लगाने के बजाए जिला प्रशासन आंखें मूंदे हुए है।

लास्ट एक मंथ में पॉल्यूशन के चलते ब्0 से ब्भ् परसेंट हार्ट पेशेंट की संख्या बढ़ी हैं। स्वांस, त्वचा और फेफड़ों के रोगियों की संख्या में भी बढ़ोत्तरी होती ही जा रही है। इसमें छोटे बच्चे और बुजुर्ग ज्यादा हैं। सरकार हेल्थ इमरजेंसी घोषित करे।

डॉ। आरएन वाजपेयी, चेस्ट स्पेशलिस्ट

अकेले सिर्फ हमारी ही क्लीनिक में चेस्ट के 80 परसेंट मरीजों की संख्या इधर एक माह में बढ़ी है। धूल, एलर्जी से हेल्थ पर प्रभाव पड़ रहा है। डिस्ट्रिक्ट एडमिनिस्ट्रेशन को इस पर विशेष ध्यान देने की जरूरत है।

डॉ। एसके पाठक, चेस्ट स्पेशलिस्ट

शहर की आबोहवा एकदम जहरीली हो चुकी है। अक्टूबर की स्टार्टिग में ही पीएम-क्0, पीएम-ख्.भ् का लेवल बढ़ने लगा था। जिला प्रशासन को इस पर कुछ ठोस निर्णय लेना चाहिए।

एकता शेखर, मुख्य अभियानकर्ता

केयर फॉर एयर

पीएम ख्.भ् कण अपने अति सूक्ष्म आकार के कारण स्वांस नली से होते हुए व्यक्ति के फेफड़ों तक पहुंचते हैं फिर रक्त में घुल कर धमनियों में बहने लगता है। ऐसे में व्यक्ति धीरे-धीरे कई समस्याओं से ग्रसित होने लगता है।

चिकित्सकीय सलाह

डॉ वाजपेयी ने बताया कि

क्या करें

-जब तक धुंध की चादर पूरी तरह से खत्म न हो जाए तब तक घरों से बाहर न निकलें।

-बहुत जरूरी हो तो नाक व मुंह पूरी तरह से ढंक कर निकलें

-फुल आस्तीन के कपड़े पहनें

-बच्चों और बुजुगरें को कतई बाहर न निकलने दें

बनारस में वायु प्रदूषण की स्थिति

डेट पीएम-क्0 पीएमख्.भ्

क् अक्टूबर क्भ्8 क्9फ्

ख् अक्टूबर क्ब्ब् ख्ख्0

फ् अक्टूबर क्फ्क् ख्07

ब् अक्टूबर क्भ्फ् ख्भ्7

भ् अक्टूबर क्फ्क् ख्07

म् अक्टूबर क्भ्फ् ख्भ्7

क्0 अक्टूबर भ्00 क्88

क्क् अक्टूबर ब्ब्भ् क्ब्0

क्ख् अक्टूबर ब्89 फ्09

क्फ् अक्टूबर भ्00 फ्भ्ख्

क्ब् अक्टूबर फ्8ख् फ्म्9

क्भ् अक्टूबर ब्79 ब्0ख्

क्म् अक्टूबर भ्00 फ्ब्म्

क्9 अक्टूबर ब्भ्फ् ब्77

ख्भ् अक्टूबर ब्0फ् फ्ब्फ्

ख्म् अक्टूबर ब्क्क् फ्88

ख्7 अक्टूर फ्0ख् फ्म्9

ख्8 अक्टूबर ब्क्8 फ्भ्ब्

ख्9 अक्टूबर फ्क्9 फ्ब्8

फ्0 अक्टूबर फ्भ्9 फ्क्भ्

ख् नवंबर क्9म् ख्ब्0

ब् नवंबर ख्9ब् ब्ख्8

म् नवंबर ब्ख्ख् ब्90

7 नवंबर ब्ब्म् फ्9भ्

8 नवंबर ब्ब्9 फ्9भ्

क्0 नवंबर ब्म्भ्-भ्00