सीओपीडी, अस्थमा, ब्रोंकाइटिस जैसी विभिन्न बीमारियों से पटनाइट्स हो रहे बीमार

- पटना में एयर पॉल्यूशन सामान्य से है तीन गुना अधिक

- बडे़ हॉस्पीटलों के कैंपस भी एयर पॉल्यूशन की चपेट में

- शाम के समय शहर में सबसे अधिक दिखता है असर

PATNA: पटना देश का दूसरा सबसे पॉल्यूटेड सिटी है। रेंगती ट्रैफिक में काला जहर उगलती खटारा पुरानी गाडि़यां और कॉमर्शियल वाहन एयर पॉल्यूशन की बड़ी वजह है। यहां के विभिन्न गोलंबर के आस-पास इंक्रोचमेंट के कारण भी खूब जाम लगता है। इस कारण देर तक लोग ट्रैफिक जाम में फंसे रहने को मजबूर हैं। दोपहर से शाम होते-होते एयर पॉल्यूशन का लेवल बहुत बढ़ जाता है। हालत ऐसी हो जाती है कि आस-पास का इलाका पॉल्यूशन के कारण धुंधला पड़ जाता है। यह कई प्रकार के हेल्थ रिस्क लेकर आता है। अस्थमा, सांस से संबंधित बीमारियां और हार्ट की बीमारी इसमें प्रमुख रूप से शामिल है। दूसरी ओर, रोड साइड बेतरतीब तरीके से कंस्ट्रक्शन वर्क का बिखरा सामान हवा में धूलकणों की मात्रा को कई गुणा बढ़ा देता है।

हॉस्पीटल भी नहीं है सुरक्षित

एयर पॉल्यूशन का एक और डरावना तथ्य यह है कि यहां के प्रमुख हॉस्पीटलों के आस-पास भी इससे किसी को राहत नहीं है। अशोक राजपथ पर पीएमसीएच, राजाबाजार के पास आईजीआईएमएस और व्यस्त रोड पर एनएमसीएच जैसे बड़े हॉस्पीटल इस प्रॉब्लम से अलग नहीं है। विशेषकर पीएमसीएच में तो हर जगह कैंपस के अंदर भी व्यस्त टै्रफिक की समस्या है। यहां पिछले साल ही निर्णय हुआ था कि कैंपस के अंदर कोई वाहन नहीं रहेगा, लेकिन यह नियम कभी प्रभावी नहीं हो पाया। उधर, बेली रोड पर पुल निर्माण के कारण आईजीआइएमएस के पास ट्रैफिक का जबरदस्त जाम लगा रहता है।

एयर पॉल्यूटेंट तेजी से बढ़ गए

बिहार स्टेट पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मुताबिक पटना में एयर पॉल्यूशन तय मानक नियमों से कई गुणा अधिक है। आरएसपीएम यानी रेस्पिरेबल पार्टिकुलेट मैटर ख्भ्0 से भी अधिक है। एक्सपर्ट के मुताबिक म्0 माइक्रोग्राम पर क्यूबिक मीटर तक की स्थिति हानिकारक नहीं है, लेकिन वर्तमान में यह तीन गुणा से भी अधिक है। वर्ष ख्007-8 में क्ख्ख्, ख्008-9 में क्ख्9 और ख्0क्0-क्क् में क्90 था। यह साफ संकेत है कि किस प्रकार से इसकी मात्रा में इजाफा हुआ है। इसमें विशेष रूप से गांधी मैदान, बेली रोड, बोरिंग रोड, जगदेव पथ आदि जैसे पॉश इलाकों में इसकी मात्रा अधिक है। इन सभी स्थानों के गोलंबर और उसके आस-पास में इसका स्तर सर्वाधिक है।

सीओपीडी का खतरा

क्रोनिक ऑब्स्ट्रक्टिव लंग डिजीजेज यानी सीओपीडी का खतरा लगातार बढ़ रहा है पटना में। इंदिरा गांधी इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोलॉडीके डायरेक्टर डॉ हरेंद्र कुमार के मुताबिक एयर पॉल्यूशन के लगातार संपर्क में रहने वाले इसकी चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा हॉर्ट की विभिन्न प्रकार की कॉम्पलीकेशन की शिकायतें लेकर पेशेंट आते हैं। पटना के एक हॉस्पीटल में पेशेंट स्टडी के मुताबिक हार्ट के क्0 से ख्0 परसेंट तक सीओपीडी के केसेज आते हैं। पीएमसीएच में टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट के हेड डॉ अशोक शंकर सिंह ने बताया कि पटना में पॉल्यूशन के साथ एक और समस्या सघन आबादी की है। सघन आबादी के कारण इंफेक्शन की दर बहुत अधिक है। अस्थमा जैसे पेशेंट जिन्हें धूलकणों से बहुत एलर्जी होती है, के लिए इस शहर में हर जगह सफर करना एक समस्या है। सांस लेने में बेचैनी होने की शिकायत आम हो गई है।

दिनों-दिन बढ़ रही बीमारी

अगर नियमित रूप से एयर पॉल्यूशन वाले वातारण में एक्सपोजर के कारण ब्रोंकाइटिस, हार्ट की बीमारी, अस्थमा आदि हो सकता है। डब्ल्यूएचओ की एक रिपोर्ट के मुताबिक इंडिया में हर साल म्.ख् लाख की मौत एयर पॉल्यूशन के कारण होता है। पटना जैसे सघन आबादी वाले शहर में हर दिन नियमित रूप से लाखों लोग पाल्यूटेड एयर में जीने को विवश है। एक तरफ पब्लिक ट्रांसपोर्ट की लचर स्थिति और लगातार बढ़ते प्राइवेट वाहन इस समय को दिनों-दिन बढ़ा रहे हैं।