-पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड का सर्वे, शहर में दमघोंटू हो गया है एयर पॉल्यूशन

- शाम 6 से 10 तक नाइट्रोजन और सल्फर डाईऑक्साइड सबसे ज्यादा

GORAKHPUR: अगर आप दिल्ली के प्रदूषण पर चिंतित हैं और गोरखपुर में बैठकर सुकून की सांस ले रहे हैं तो सावधान हो जाइए। जीहां, अपने शहर का हाल भी बहुत अच्छा नहीं है। खासतौर पर शाम के उस वक्त जब आप अपनों के साथ थोड़ा फुरसत के लम्हें एंज्वॉय करना चाहते हैं शहर की हवा में भी जहर भर चुका होता है। यह हम नहीं कह रहे हैं बल्कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड की ओर से रिहायशी इलाकों में कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई है। यहां साल दर साल पॉल्युशन का आंकड़ा बढ़ रहा है, जिससे घर के बाहर निकलने पर लोगों को न सिर्फ घुटन महसूस हो रही है, बल्कि कई तरह की बीमारियां तोहफे में मिल रही हैं।

शाम 6 से 10 सबसे डेंजर

यूं तो सिटी में हर वक्त नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड और सल्फर डाईऑक्साइड लोगों को परेशान कर रही है। मगर पॉल्यूशन विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो इनका सबसे ज्यादा प्रकोप शाम में छह बजे से लेकर रात के 10 बजे के बीच होता है। वहीं दिवाली के बाद तो एटमॉस्फियर में इनकी तादाद काफी ज्यादा बढ़ गई है। वहीं सबसे इन दोनों गैसेज का सबसे कम कॉन्संट्रेशन लेवल रात में दो बजे से सुबह छह बजे के बीच होता है, जब लोग गहरी नींद में सो रहे होते हैं।

Year 2015

(Concentration in Microgram per Meter cube)

6 to 10 AM

Sulphur Dioxide - 23

Nitrogen Dioxide - 24

10 to 2 PM

Sulphur Dioxide - 24

Nitrogen Dioxide - 38

2 to 6 PM

Sulphur Dioxide - 28

Nitrogen Dioxide - 42

6 to 10 PM

Sulphur Dioxide - 30

Nitrogen Dioxide - 46

10 PM to 2 AM

Sulphur Dioxide - 20

Nitrogen Dioxide - 32

2 to 6 PM

Sulphur Dioxide - 18

Nitrogen Dioxide - 29

Average -

Sulphur Dioxide - 23.83

Nitrogen Dioxide - 36.83

Year 2016

(Concentration in Microgram per Meter cube)

6 to 10 AM

Sulphur Dioxide - 22

Nitrogen Dioxide - 33

10 to 2 PM

Sulphur Dioxide - 22

Nitrogen Dioxide - 37

2 to 6 PM

Sulphur Dioxide - 26

Nitrogen Dioxide - 41

6 to 10 PM

Sulphur Dioxide - 29

Nitrogen Dioxide - 44

10 PM to 2 AM

Sulphur Dioxide - 19

Nitrogen Dioxide - 31

2 to 6 PM

Sulphur Dioxide - 16

Nitrogen Dioxide - 29

Average -

Sulphur Dioxide - 22.33

Nitrogen Dioxide - 35.83

ये होता है नुकसान

सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई ऑक्साइड इरिटेंट गैसेज होती हैं। यह जब ऑक्सीजन के साथ मिलती हैं और संवेदनशील मरीजों को सांस की नली में पहुंचती हैं, तो ऐसे मरीजों की सांस की नली में सिकुड़न पैदा करती हैं। ऐसे में उन्हें सांस लेने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। वहीं, दमा के जो मरीज हैं, अगर उनकी डिजीज कंट्रोल में भी है तो इस तरह के मौसम में उनकी प्रॉब्लम पॉल्युशन की वजह से बढ़ जाती है। ऐसे में उन्हें सांस और गले से संबंधित बीमारियां परेशान करने लगती हैं।

मरीजों को हो सकती है प्रॉब्लम

सांस फूलना

गले से सीटी की अवाज

खांसी

नाक से पानी

आखों में जलन

नॉर्मल आदमी को प्रॉब्लम

खांसी

जुकाम

सांस फूलना

क्या लें प्रिकॉशन

जहां तक पॉसिबल हो बाहर जाना अवॉयड करें

- गर्म पानी का इस्तेमाल करें

- मुंह और नाक ढकी रहे, जिससे पॉल्यूटेंट शरीर में एंटर न कर सके।

- दमा के मरीजों को घर के बाहर नहीं निकलना चाहिए।

- दिवाली के बाद प्रदूषण का स्तर बढ़ जाता है, इसलिए दमा के मरीज खुराक बढ़ा दें।

- अगर इसके बाद भी प्रॉब्लम रहती है तो डॉक्टर को दिखाकर सलाह लें

वर्जन

इस मौसम में पॉल्यूशन बढ़ जाने से लोगों को परेशानी हो जाती है। सबसे ज्यादा दिक्कत दमा के मरीजों को होती है। उन्हें प्रिकॉशन लेने के साथ ही बाहर निकलना अवॉयड करना चाहिए। वहीं डोज बढ़ा लें तो बेहतर होगा।

- डॉ। वीएन अग्रवाल, चेस्ट स्पेशलिस्ट