यह बढ़ी वाहनों की संख्या

- 60,000 वाहन के रजिस्ट्रेशन साल 2017-18 में हुए

- 75,000 वाहनों के रजिस्ट्रेशन साल 2018-19 में हुए

यह जानना जरूरी

-40 एमजी/एक्यूवएम सामान्य होता है एयर वॉल्यूम

- 114 एमजी/एक्यूवएम एयर वॉल्यूम वेडनसडे को जांच में मिला

-11 से 20 सांस के पेशेंट डिस्ट्रिक हॉस्पीटल में डेली आ रहे

-वाहनों की बढ़ोत्तरी और कूड़ा जलाए जाने से तीन गुना बढ़ा पॉल्यूशन

-प्रदूषण से लगातार बढ़ रहे सांस के रोगी, इस साल 339 की गई जान

बरेली : लगातार बढ़ते वाहन और डेली कूड़ा जलाए जाने से शहर में पॉल्यूशन तीन गुना बढ़ गया है. यह बात बरेली कॉलेज के बॉटनी विभाग के हेड डॉ. आलोक खरे द्वारा जांच में सामने आई है. वेडनसडे को जब इन्होंने एयर वाल्यूम की जांच की तो 114 एमजी/एक्यूवएम पाया. जबकि सामान्य 40 एमजी/एक्यूवएम है. पिछले चार साल से लगातार एयर पॉल्यूशन का ग्राफ बढ़ता जा रहा है, लेकिन इसको लेकर न तो बरेलियंस गंभीर हैं और न ही प्रशासन.

टॉप 20 में शामिल बरेली मंडल

डब्ल्यूएचओ की ओर से वर्ष 2016 में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश के सबसे अधिक प्रदूषण वाले राज्यों में बरेली मंडल भी शामिल रहा है. इस दौरान केंद्रीय प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने क्षेत्रीय कार्यालय को नोटिस जारी कर अलर्ट भी किया गया था. इसके बाद भी इस पर गंभीरता नहीं दिखाई गई.

नॉन स्मोकिंग वालों को ज्यादा खतरा

स्मोकिंग करने वाले व्यक्ति रोजाना पांच से दस सिगरेट पीता है. इससे वह खुद को तो नुकसान पहुंचा ही रहा है साथ ही वातावरण में भी जहर घोल रहा है. यही जहर सामान्य व्यक्ति के सांस लेने के दौरान उसके अंदर चला जाता है. जिससे उन्हें सांस संबंधी रोग हो जाते हैं.

पॉल्यूशन से हो रही मौतें

जिला अस्पताल में पिछले पांच सालों में की गई गणना के अनुसार सांस संबंधी रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है. डॉक्टरों के अनुसार इनमें से कई ऐसे रोगी हैं, जो नशीले पदार्थ का उपयोग नहीं करते हैं. लेकिन इसके बाद भी सांस की बीमारी से इन्हें अपनी जान गंवानी पड़ी.

इतने लोगों की गई जान

साल 2015 1109

साल 2016 1322

साल 2017 1266

साल 2018 1445

साल 2019 339

हर माह होती जांच

शहर में प्रभा टाकीज के सामने बने पेट्रोल पंप और आईवीआरआई कैंपस में दो एयर सैंपलर्स सेंट्रल एयर कंट्रोल बोर्ड की ओर से लगाए गए हैं, जिससे हर माह वायु प्रदूषण की माप होती है. यहां से हर माह चौंकाने वाले आंकड़े आते हैं, लेकिन इसके बाद भी बढ़ते पॉल्यूशन को रोकने के कोई उपाय नहीं किए जाते हैं.

कूड़े से घुल रहा जहर

सबसे ज्यादा वायु प्रदूषण के लिए बरेलियंस ही जिम्मेदार हैं. जिम्मेदार विभागों की अनदेखी के चलते लोग खुलेआम कूड़े को आग के हवाले कर रहे हैं. कूड़े में भारी मात्रा में पॉलिथीन शामिल होती जलने के बाद इससे भारी मात्रा में सायनाइट, कार्बन डाइ ऑक्साइड जैसे जानलेवा पार्टिकल हवा में घुल जाते हैं और सांस के माध्यम से शरीर में पहुंच कर बीमार कर रहे हैं.

पॉल्यूशन के यह है कारण

- शहर में कूड़ा का निस्तारण की व्यवस्था न होना

- पौधरोपण के नाम पर विभागों का खेल

- कागजों में ही अवेयरनेस प्रोग्राम

- कूड़े में आग पर अंकुश न लगना

वर्जन :

शहर में पिछले सालों की तुलना में एयर पॉल्यूशन लेवल में कई गुना इजाफा हुआ है. वेडनसडे की रिपोर्ट भी सामान्य से कई गुना अधिक है. अगर पाल्यूशन पर कंट्रोल नहीं किया गया तो भविष्य में स्थिति भयावह हो सकती है.

डॉ. अलोक खरे, एचओडी बॉटनी, बीसीबी