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PATNA : पटना दुनिया का पांचवां सबसे प्रदूषित शहर है, लेकिन इस समस्या से उबरने के लिए ठोस प्रयास नहीं दिख रहे हैं. पटना की आबोहवा को सुधारने के लिए जो लक्ष्य तय किया गया था, उसे दिसंबर 2018 से 2019 में पूरा कर लिया जाना था. आलम यह है कि टारगेट से भटकने के बाद अब लक्ष्य 2022 से 2024 तक बढ़ा दिया गया है. इसका सीधा सा अर्थ यह है कि अभी पटनाइट्स को हवा में घुल रहे जहरीले तत्वों से राहत की उम्मीद नहीं है. पीएम 2.5 सहित अन्य प्रदूषण कारक तत्वों की मात्रा को नियंत्रित करने के लिए बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के द्वारा तैयार किया गया क्लीन एयर एक्शन प्लान बनाया गया था. इसे रीवाइज कर दिया गया है, क्योंकि इससे पहले तय लक्ष्य हासिल नहीं हो पाया था.

क्या है क्लीन एयर एक्शन प्लान

पटना में लगातार बिगड़ते एयर क्वालिटी को कंट्रोल करने के लिए बिहार स्टेट पाल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने एक कार्ययोजना तैयार की. इसमें प्रदूषण के विभिन्न पक्षों के लिए संबंधित डिपार्टमेंट को कुछ लक्ष्य दिये गए. जैसे ट्रांसपोर्ट डिपार्टमेंट को पीयूसी सेंटरों पर जांच की सुविधा बढ़ाने, डीजल की कमर्शियल गाडि़यों के परिचालन पर रोक आदि दिये गए. इसी प्रकार, भवन निर्माण विभाग सहित अन्य विभागों को भी संबंधित क्षेत्र में लक्ष्य तय किये गए थे. लेकिन दिसंबर 2018 तक कई लक्ष्य से पीछे होने की स्थिति में इसे रीवाइज करने की नौबत आ गई.

ऐसे तो निपट नहीं सकेंगे

प्रदूषण के बिगड़ते हालात पर सीड्स संस्था की सीनियर प्रोग्राम मैनेजर अंकिता ज्योति ने कहा कि पटना में जिस कदर प्रदूषण बढ़ रहा है, वह अलार्मिग है. इसे नियंत्रित करने के लिए चूंकि कई कदम उठाए जाने हैं, इसलिए इसके नियंत्रण के लिए तय समय सीमा में काम किया जाना चाहिए था. यदि इसी प्रकार की स्थिति रही तो प्रदूषण की समस्या से निपटना आसान नहीं होगा.

हालात बिगड़े तो उपाय नहीं

गौरतलब है कि पटना सहित अन्य बड़े शहरों के लिए भी क्लीन एयर एक्शन प्लान बनाया गया था. उसमें प्रदूषण के कारण बिगड़े हालात से निपटने के लिए ग्रेडेट रेस्पांस एक्शन प्लान को भी शामिल किया गया है. यह दिल्ली में लागू है.

लक्ष्य पीछे छूटा

क्लीन एयर एक्शन प्लान के तहत जहां डीजल से चलने वाले वाहनों पर रोक दिसंबर 2018 तक होना था. अब यह लक्ष्य दिसंबर 2019 तक हासिल करना है. जबकि दिसंबर, 2018 तक डीजल से चलने वाले कमर्शियल वाहनों की नियमित चेकिंग होनी था, जो अब तक पूरी नहीं हुई है. इसी प्रकार, डीजल से चलने वाले ऑटो रिक्शा के रजिस्ट्रेशन को बैन करने का लक्ष्य दिसंबर, 2019 तक रखा गया है. यह पहले दिसंबर 2018 तक था. इसके साथ ही सभी पीयूसी सेंटर की हर छह माह के भीतर जांच करनी थी. यह जुलाई, 2019 तक सुनिश्चत कर लेना था. इसकी समय सीमा बढ़ाकर दिसंबर, 2020 कर दी गई है.