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LUCKNOW: कमरुज्जमा के इस खुलासे से ना केवल एटीएस बल्कि बाकी खुफिया एजेंसियों की परेशानी भी बढ़ गयी है। उसके साथियों की तलाश में काश्मीर से लेकर असोम तक सक्रियता बढ़ा दी गयी है। यह भी पता लगाया जा रहा है कि आखिर वह लखनऊ किस मकसद से आने वाला था।

डाटा हासिल करने की कवायद में जुटे

जांच एजेंसियों को कमरुज्जमा का ब्लैकबेरी मोबाइल भी परेशान कर रहा है जिसमें आतंकी घटना अंजाम देने की साजिश के कई अहम राज छिपे हैं। वह इसी मोबाइल से मैसेंजर के जरिए अपने आकाओं से संपर्क करता था। हालांकि उसके द्वारा रोजाना मोबाइल फार्मेट करने से तमाम सुबूत नष्ट होने की आशंका भी जताई जा रही है। फिलहाल एटीएस के अधिकारी अत्याधुनिक तकनीक की मदद से डिलीट किया गया डाटा हासिल करने की कवायद में जुटे हैं।

इनमें से अधिकतर कानपुर के ही रहने वाले

जांच में कमरुज्जमा के साथी और किश्तवाड़ में हिज्बुल कमांडर का नाम भी सामने आया है जिसकी एनआईए और सेना को भी तलाश है। साथ ही यह भी पता लगाया जा रहा है कि वह कहीं आईएसआईएस के खुरासान मॉड्यूल से भी तो जुड़ा नहीं है। चकेरी एयरफोर्स स्टेशन के पास ठिकाना बनाने से यही आशंका जताई जा रही है। इसकी पुष्टि के लिए एटीएस बीते डेढ साल के दौरान गिरफ्तार किए गये खुरासान माड्यूल के सदस्यों से पूछताछ की तैयारी में है। ध्यान रहे कि इनमें से अधिकतर कानपुर के ही रहने वाले हैं।

यूपी के रहने वाले दो साथी गायब

दरअसल आशंका जताई जा रही है कि एके-47 आने के बाद कमरुज्जमा व उसके दो साथी कानपुर में फिदायीन हमला करने की तैयारी में थे। दोनों यूपी के निवासी बताए जा रहे हैं। कमरुच्जमा के पकड़े जाने से चार दिन पहले दोनों हथियार लाने के लिए ही निकले थे। पूछताछ में यह भी सामने आया है कि उनका एक साथी पहले से कानपुर में था। वह करीब 12 दिन पहले आया था और तीसरा साथी उसके तीन दिन बाद कानपुर पहुंचा था। दोनों अच्छी हिंदी बोलते हैं और वही दोनों स्थानीय लोगों से बातचीत करते थे। कमरुज्जमा किसी से ज्यादा बात नहीं करता था, ताकि उस पर किसी को संदेह न हो।

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