GORAKHPUR: मेरा नाम आकांक्षा है। मैं बिजली विभाग में असिस्टेंट इंजीनियर हूं। आपका मीटर चेक करने आई हूं। ये सुनने के बाद हर कोई चौंक पड़ता है। बिजली विभाग की इंजीनियर वो भी एक लड़की! आसानी से किसी को यकीन नहीं होता। हर किसी के जेहन में बिजली विभाग के इंजीनियर के तौर पर एक ही चेहरा कौंधता है। वो है किसी 40-45 साल के अधेड़ मर्द का। आकांक्षा इस परिदृश्य में अपवाद नजर आती हैं। एरिया में फाल्ट से फाइट करना आकांक्षा का काम है। उनकी टीम किसी भी प्रॉब्लम पर दौड़ती है। टीम में अकेली महिला को देख हर कोई उन्हें हैरत की निगाह से देखता है। लेकिन आंकाक्षा अब विभाग में अपनी जगह बना चुकी हैं।

400 के बीच बस दो

पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड परिक्षेत्र में करीब 400 इंजीनियर्स हैं। इनमें महिलाओं की संख्या मात्र दो है। संयोग ही है कि दोनों गोरखपुर में ही तैनात है। इनमें एक एई हैं आकांक्षा जायसवाल। वह जब टीम के साथ क्षेत्र में मीटर चेक करने या काम्बिंग आदि के लिए निकलती हैं तो लोग हैरत भरी निगाह से उन्हें देखते हैं।

जनता की सेवा है ये

आकांक्षा पूरी तैयारी के साथ इस फील्ड में आई हैं। उन्होंने बताया कि मैं चाहती थी इंजीनियरिंग के बाद कोई करियर ऐसे फील्ड में हो, जहां पब्लिक की प्रॉब्लम्स को दूर करने का मौका मिले। हालांकि मैंने ये नहीं सोचा था कि मैं बिजली विभाग में काम करुंगी। इतना जरूर है कि मेरी मेहनत रंग लाई और मैं इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के लिए सेलेक्ट हुई। पापा भी चाहते थे कि मैं गवर्नमेंट सर्विस ही करूं। उनकी इच्छा भी पूरी हो गई। किसी टेक्निकल प्रॉब्लम की कम्प्लेंट आए तो मैं खुद मौके पर जाना पसंद करती हूं।

सीखने में ज्यादा चुनौती

दुश्वारियों के बारे में आकांक्षा ने बताया कि महिला होने मुझे काम में कभी दिक्कत नहीं हुई। बल्कि हर किसी ने सपोर्ट ही किया। हां, दो साल पहले जब मैंने जॉइन किया तब सीखने के दौरान ज्यादा चुनौती महसूस हुई। जो चीजें लड़के दो महीने में सीख गए, वही मुझे सीखने में थोड़ा ज्यादा वक्त लगा। इसके अलावा नई जगह, नया काम, नया ऑफिस और नये लोग। इनके बीच में एडजेस्टमेंट करना, एक लड़की के लिए वैसे भी टफ होता है। शुरूआती दौर में ऑफिस कलीग और सबार्डिनेट मुझसे बात करने में भी हिचकते थे। इस वजह से मेरी लर्निग डिस्टर्ब हुई। मगर धीरे-धीरे लोगों की झिझक कम हुई तो मुझे भी चीजें जानने और समझने में मदद मिली।

कभी-कभी लगता है अटपटा

फील्ड का अनुभव आकांक्षा को ज्यादा अटपटा महसूस होता है। दो साल हो जाने के बावजूद लोग बिजली विभाग के एक इंजीनियर के रूप में आसानी से एक्सेप्ट नहीं कर पाते। साथ् के स्टाफ वालों से पूछते रहे हैं कि ये कैसे आ गई। क्या करती है। एक और अनुभव अटपटा महसूस होता है कि पूरे विभाग के टेक्निकल स्टाफ में वह खुद को अकेला पाती हैं। सभी जगह जेंट्स ही जेंट्स मिलते हैं। कई बार ऐसा भी लगता है कि महिला होने के कारण मुझे कुछ न कुछ नुकसान भी हो रहा है। हालांकि दिनों दिन मैं खुद को ज्यादा महसूस करती हूं।

अभी बहुत आगे जाना है

एक इंजीनियर के तौर पर सरकारी नौकरी पाना आकांक्षा की मंजिल नहीं। वह कहती हैं कि अभी मेरे और मेरे परिवार के और भी बहुत से सपने हैं जिन्हें मैं पूरा करना चाहती हूं। अभी मुझे और आगे जाना है, और भी बहुत कुछ करना है। सपनों को पूरा करने के लिए मैं संघर्ष करती रहूंगी। पब्लिक के लिए मैं ज्यादा से ज्यादा काम करना चाहती हूं।

प्रोफाइल

नाम: आकांक्षा जायसवाल

काम: असिस्टेंट इंजीनियर

विभाग: पूर्वाचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड

तैनाती: गोरखपुर

मूल निवास: वाराणसी

प्रारंभिक शिक्षा: वाराणसी में

उच्च शिक्षा: बीटेक, एमएमयूआईटी, गोरखपुर में