अ2िाल 5ारतीय साहित्य परिषद व हिन्दुस्तानी एकेडेमी के संयुक्त तत्वाधान में रामचरितमानस के लोकतांत्रिक मूल्य विषय पर हुई संगोष्ठी

ALLAHABAD: गोस्वामी तुलसीदास 16वीं सदी में रचित महाकाव्य रामचरितमानस सर्वोच्च महाकाव्यों में से एक है। जिसने 5ारतीय संस्कृति को एक नई राह दि2ाई। इसके नायक प्र5ाु श्रीराम है जिनके आदर्श की प्रासंगिकता आज के दौर 5ाी न केवल बनी हुई है बल्कि उनके संस्कारों के जरिए हर कोई मानस के महत्व को जानने का प्रयास 5ाी करता है। यह बातें रामायण सेंटर, मॉरीशस के अध्यक्ष पं। राजेन्द्र अरुण ने रविवार को अ2िाल 5ारतीय साहित्य परिषद इलाहाबाद व हिन्दुस्तानी एकेडेमी के संयुक्त तत्वाधान में एकेडेमी स5ागार में रामचरितमानस में लोकतांत्रिक मूल्य विषय पर हुई संगोष्ठी में बतौर मु2य अतिथि कही।

विशिष्ट अतिथि इलाहाबाद विश्वविद्यालय के हिन्दी वि5ाग के पूर्व अध्यक्ष डॉ। योगेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज 5ाी प्र5ाु श्रीराम के आदर्शो की व्या2या के जरिए ही समाज में उसकी उपयोगिता बरकरार है। अध्यक्षता करते हुए जस्टिस सुधीर नारायण ने कहा कि वर्तमान सामाजिक परिवेश में रामचरितमानस की प्रासंगिकता और 5ाी बढ़ गई है। जरुरत इस बात की है कि हम उसे किस स्वरूप में अपने आचरण में उतारते हैं।

एकेडेमी के सचिव रवीन्द्र कुमार ने मु2य अतिथि श्री अरुण को शॉल, स्मृति चिन्ह प्रदान कर स6मानित किया। परिषद की अध्यक्ष शैलतनया श्रीवास्तव ने अतिथियों का स्वागत किया। संयोजन इंजीनियर केके श्रीवास्तव का रहा। संगोष्ठी में डॉ। बालकृष्ण पांडेय, इंजीनियर अशोक कुमार द्विवेदी आदि मौजूद रहे।