सुपात्र को दान
सबसे पहले तो समझ लें कि दान हमेशा सुपात्र को ही करना चाहिए। यानि दान के नाम पर दान ना करें बल्कि जो सामग्री आप दान कर रहे हैं वो लेने वाले के लिए काम की हो और उसे उसको प्राप्त करके खुशी के साथ साथ फायदा भी हो। ऐसा तभी होगा जब आप का दान सही व्यक्ति को दिया जायेगा। हमारे धर्म ग्रंथों और पुराणों में दान का महत्व काफी ज्यादा बताया गया है, किंतु उसका सही फल तभी मिलता है जब दान निष्काम भाव से और जरूरतमंद को किया जाये। अक्षय तृतीया के दिन दान अपनी क्षमता भर दान जरूर करना चाहिए। मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन दान करने से आने वाला समय अच्छा होता है और हमारे दुख दूर होते हैं।
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सकारात्मक उर्जा का प्रसार
दान करना धार्मिक रूप से ही नहीं सामाजिक और मनोवैज्ञानिक रूप से भी आवश्यक है इसलिए किसी अंधविश्वास के तहत नहीं बल्कि आत्मिक और समाजिक विकास के लिए इस अक्षय तृतिया को दान अवश्य करें। अगर आप सुयोग्य व्यक्ित को दान देंगे तो आपको तो संतोष का अनुभव होगा ही समाज में जरूरतमंदों को भी लाभ होगा। इसके साथ ही दान करने से सकारात्मक ऊर्जा का भी प्रवाह होता है जो वातावरण में खुशी की भावना का विकास करती है। अगर आपके आसपास लोग प्रसन्न होंगे तो आपको स्वाभाविक रूप से प्रसन्नता का अनुभव होगा जिससे डिप्रेशन और मानसिक तनाव जैसी बीमारियों में कमी आयेगी।
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क्या करें दान
इस अक्षय तृतिया आप इन चीजों का दान कर सकते हैं। गेहूं का सत्तू, लाल चंदन, गुड़, लाल वस्त्र, ताम्रपात्र तथा फल-फूल का दान करें। चावल, घी, चीनी, मोती, शंख, कपूर का दान करें। मंगल की शुभता के लिए जौ का सत्तू, गेहूं, मसूर, घी, गुड़, शहद, मूंगा आदि का दान करें। बुध की अनुकूलता के लिए हरा वस्त्र, मूंग दाल, हरे फल तथा सब्जी का दान करें। गुरु की प्रसन्नता के लिए केले के पेड़ में हल्दी मिश्रित जल चढ़ाकर घी का दीपक जलाएं। केला, आम, पपीता का दान करें। शुक्र शांति के लिए सुहागिनों को वस्त्र एवं श्रंगार सामग्री दान करें। सत्तू, ककड़ी, खरबूजा, दूध, दही, मिश्री का दान करें। केतु अनिष्टकारक हो तो सप्त धान्य, पंखे, खड़ाऊ, छाता, लहसुनिया और नमक का दान करें। शनि-राहु के लिए एक नारियल को मोती में लपेटकर सात बादाम के साथ दक्षिणमुखी हनुमान मंदिर में चढ़ाएं।
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