ALLAHABAD: अक्षय तृतीया का पावन पर्व 18 अप्रैल को मनाया जाएगा। हालांकि तृतीया तिथि का मान 17 अप्रैल को शाम 4.48 बजे से शुरू हो जाएगा, जिसका मान पर्व के दिन देर रात 3.04 बजे तक रहेगा। खास बात यह है कि तृतीया पर कृतिका नक्षत्र का शुभ संयोग बना रहेगा। उत्थान ज्योतिष संस्थान के निदेशक पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली ने बताया कि कृतिका नक्षत्र का मान सूर्योदय से लेकर मध्य रात्रि तक रहेगा। साथ ही आयुष्यमान योग व सिद्धि योगा तृतीया पर चार चांद लगाएंगे। इस नक्षत्र में की गई खरीदारी जातकों के घर-परिवार में समृद्धि प्रदान करने वाला साबित होगा।

 

दो स्थिर लग्न का संयोग

व्यापारिक कार्य प्रारंभ करने का सबसे महत्वपूर्ण मुहूर्त स्थिर लग्न होता है। अक्षय तृतीया पर दो स्थिर लग्न का संयोग बन रहा है। सुबह 7.15 बजे से लेकर 8.55 तक वृष स्थिर लग्न और दूसरा स्थिर लग्न सिंह जो दोपहर 1.40 बजे से लेकर दोपहर 3.45 बजे तक रहेगा।

 

तृतीया के दिन दान की वस्तु

अक्षय तृतीया के दिन पूर्ण जल से भरा घड़ा, स्वर्ण, सभी प्रकार के अन्न जैसे गेहूं, चना, सत्तू, चावल आदि का दान करना चाहिए। ज्योतिषाचार्य पं। विनोद दुबे ने बताया कि पुराणों में इस दिन पित्तरों को तर्पण, पिंडदान, या अन्य किसी भी तरह का दान अक्षय फल प्रदान करता है। इस दिन गंगा स्नान करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं।

 

राशि के अनुसार ज्वेलरी की खरीदारी

मेष : सफेद स्वर्ण और पीत स्वर्ण

वृष : सफेद स्वर्ण व चांदी

मिथुन : पीत स्वर्ण

कर्क : पीत स्वर्ण व चांदी दोनों

सिंह : पीत स्वर्ण

कन्या : केवल सफेद स्वर्ण

तुला : चांदी व सफेद स्वर्ण

वृश्चिक : पीत व सफेद स्वर्ण

धनु : केवल पीत स्वर्ण

मकर : सफेद स्वर्ण

मीन : पीत व सफेद स्वर्ण दोनों

 

अक्षय तृतीया को युगादि तिथि होने के कारण पुनीत पर्व माना जाता है। कृतिका नक्षत्र का संयोग सूर्योदय से लेकर देर रात तक रहेगा। यह नक्षत्र सुख समृद्धि का बड़ा कारक होता है।

पं। दिवाकर त्रिपाठी पूर्वाचली, निदेशक उत्थान ज्योतिष संस्थान

 

इस दिन किए जाने वाला जप, तप, हवन, दान और पुण्य कार्य अक्षय हो जाता है। इसका इतना महत्व है कि बिना पंचांग या शुभ मुहूर्त देखे आप हर प्रकार के मांगलिक कार्य सम्पन्न करा सकते हैं।

पं। विनोद दुबे, ज्योतिषाचार्य