-अल करीम होटल के अवैध निर्माण को एक दूसरे पर टाल रहे निगम व एमडीए

-कोर्ट ने वादी के अधिवक्ता से मांगी 15 दिन में आपत्ति, 19 अप्रैल को सुनवाई

Meerut : घंटाघर स्थित नगर निगम की भूमि में हुए होटल अल करीम के अवैध निर्माण जिम्मेदारी एमडीए और नगर निगम एक दूसरे पर टाल रहे हैं। दोनों विभागों ने हाईकोर्ट में शपथपत्र दाखिल करते हुए इसे एक दूसरे की जिम्मेदारी बताया है। एमडीए ने होटल के भवन का जल्द ध्वस्तीकरण कराने का आश्वासन भी कोर्ट को दिया है। उधर, होटल संचालक ने अवैध निर्माण का शमन कराने तथा निगम की भूमि का मूल्य चुकाने का शपथपत्र दिया है।

निगम के निशाने पर एमडीए

होटल अल करीम के अवैध निर्माण को लेकर एमडीए और नगर निगम अफसरों पर संकट के बादल छाए हैं। कोर्ट ने अफसरों को व्यक्तिगत पेशी से तो छूट दे दी थी लेकिन गुरुवार को दोनों विभागों और होटल संचालक के जवाबी शपथपत्र जमा किए गए। वादी के अधिवक्ता राजेश मिश्रा ने बताया कि नगर आयुक्त उमेश प्रताप सिंह की ओर से जमा किए गए शपथपत्र में कहा गया है कि नगर निगम की किराए की संपत्ति के स्वरूप में परिवर्तन किए जाने पर एक हजार रुपये प्रतिवर्ग फीट की दर से जुर्माना किया जाता है। जिसकी कार्रवाई की जा रही है। उन्होंने कहा है कि अवैध निर्माण को रोकने की जिम्मेदारी एमडीए की थी। जिसे उसने पूरा नहीं किया।

नगर निगम ने नहीं की कार्रवाई

अवैध निर्माण के सवाल पर एमडीए सचिव द्वारा कोर्ट में पेश किए गए शपथपत्र में कहा गया है कि होटल अल करीम का निर्माण निगम की जमीन पर कब्जा करके किया गया है। निगम ने उक्त कब्जे को नहीं रोका। लिहाजा अवैध भवन बनकर खड़ा हो गया। अब इसके ध्वस्तीकरण के लिए जल्द तिथि निर्धारित की जाएगी। उन्होंने बताया कि होटल संचालक हाजी नासिर इलाही ने भी कोर्ट में शपथपत्र देकर कहा कि उक्त भवन काफी पुराना है। फिर भी अवैध निर्माण का शमन कराने को वह तैयार है।

15 दिन में मांगी आपत्ति

मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने सभी पक्षों के जवाब प्राप्त होने के बाद उन पर वादी से 15 दिन में आपत्ति मांगी है। अब इस मामले में 19 अप्रैल को सुनवाई होगी। निगम की ओर से अधिवक्ता पंकज श्रीवास्तव, ताबिश शेख, एमडीए की ओर से भूपेश्वर दयाल व कमरूल हसन सिद्दीकी तथा होटल संचालक की ओर से शशि नंदन ने कोर्ट में पक्ष रखा।