- जहां बजट कम वहां काम हुआ कम

- जहां बजट का खुला पिटारा वहां भी डेवलपमेंट का पड़ा है सूखा

- वार्ड 17 में सबसे कम साढ़े सात लाख रुपए है डेवलपमेंट का बजट

- वार्ड 14 एलनगंज में 1.20 करोड़ का दिखाया जा रहा कार्य

ALLAHABAD: यहां डेवलपमेंट में ही नहीं बल्कि डेवलपमेंट के आंकड़ों में भी खेल होता है। हकीकत में कुछ और कागज पर कुछ और दिखाया जाता है। नगर निगम द्वारा कुछ ऐसा ही किया जा रहा है। शहर के पॉश इलाकों में से एक वार्ड नंबर क्7 यानी न्यायमार्ग क्षेत्र में डेवलपमेंट के लिए सबसे कम 7.ब्क् लाख रुपए का कार्य कराया जाना है। जबकि इस वार्ड में नाला निर्माण से लेकर कई कार्य अधूरे पड़े हैं। वहीं इस वार्ड के बगल के वार्ड-क्ब् में सबसे अधिक क्.ख्0 करोड़ रुपए के डेवलपमेंट का कार्य दिखाया जा रहा है। जबकि पार्षद लाज सोनकर का कहना है कि ये आंकड़ा गलत है। हकीकत में केवल कोटे के तहत आठ से दस लाख का काम हुआ है। नामित पार्षदों के साथ ही कुंभ मेले के कार्य को जोड़ कर आंकड़ों में जबरदस्त खेल हुआ है।

वार्ड नंबर क्7

आबादी-ख्0 से ख्ख् हजार

एरिया- आकाशपुरी, अल्कापुरी, हाईकोर्ट कॉलोनी, एजी ऑफिस रोड, क्लाइव रोड से हनुमान मंदिर चौराहा तक, रेडियो स्टेशन एरिया।

सबसे बड़ी समस्या है नाला

एमजी मार्ग हाईकोर्ट से सटा होने के कारण वीआईपी एरिया में आता है। फिर भी इस एरिया में सबसे बड़ी समस्या नाले की है। जो पूरे वार्ड के साथ ही शहर की शान में दाग बने हुए हैं। क्योंकि पुलिस हेड क्वार्टर इसी वार्ड में है। पीएचक्यू के बगल में नाला बना हुआ है, जिसे आज तक ढका नहीं जा सका है। वहीं पक्का निर्माण न होने से नाले की वजह से पटरी कट रही है। लगातार नाला चौड़ा हो रहा है। नवाब यूसुफ रोड पर भी नाले की बड़ी समस्या है। यहां भी सड़क किनारे से बड़ा नाला गया है, लेकिन पूरा नाला खुला हुआ है। नाले की दीवार न बनने से सड़क की पटरी कट रही है। सफाई का कोई इंतजाम नहीं है। बरसात के दिनों में नाला भर जाने पर एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है।

इंटर लॉकिंग का काम होना

वीआईपी एरिया होने की वजह से मेन रोड की सड़कें चकाचक हैं। लेकिन कॉलोनियों और अन्य मार्गो पर डेवलपमेंट की जरूरत है। कई मार्गो पर इंटर लॉकिंग का काम होना है। लोहिया मार्ग पर, राज्यपाल पश्चिम बंगाल केशरीनाथ त्रिपाठी के बगल वाली गली में, पीएचक्यू के बगल वाले एरिया में, वाईएमसी के बगल में इंटर लॉकिंग का काम होना है। लेकिन अभी तक इन कामों पर नगर निगम के अधिकारियों की कोई नजर नहीं है।

अंधेरे में डूबा मेन एरिया

कहने को तो एमजी रोड शहर का सबसे वीआईपी एरिया है। लेकिन इस वीआईपी एरिया की हकीकत को देखना है तो शाम को आइए। शाम होने के बाद मेन एरिया में अंधेरा छाया रहता है। क्योंकि लाइट की बेहतर व्यवस्था नहीं है। पार्षद आनंद सोनकर का कहना है कि पूरे वार्ड में ब्0 से भ्0 सोडियम लाइट और करीब पांच हाईमास्ट की जरूरत है।

नाली, इंटर लॉकिंग, सड़क निर्माण के साथ ही सोडियम लाइट के लिए करीब फ्0 से फ्भ् लाख रुपए के विकास कार्य का प्रस्ताव बनाकर नगर निगम में दे रखा है। लेकिन प्रस्ताव पर काम नहीं हो रहा है। क्योंकि नगर निगम में केवल प्रस्ताव देने से काम नहीं होता है। प्रस्ताव देने के बाद उसकी पैरवी करनी पड़ती है। अगर पैरवी करने में पीछे रह गए, तो फिर काम लटकना तय है। जैसा मेरे साथ हो रहा है। नवाब यूसूफ रोड और पीएचक्यू का नाला सबसे बड़ी समस्या है। लेकिन, केवल सात-आठ लाख रुपए का काम कराया गया। शेष काम को छोड़ दिया गया।

आनंद सोनकर

पार्षद, वार्ड-क्7

न्यायमार्ग क्षेत्र, एमजी रोड

क्.ख्0 करोड़ खर्च होता तो वार्ड चमकता रहता

नगर निगम की ओर से पार्षदों के वार्ड में कराए जाने वाले कार्यो की जो बजट लिस्ट है, उसमें वार्ड क्ब् की पार्षद लाज सोनकर नंबर वन पर हैं। आंकड़े बताते हैं कि उनके वार्ड में सबसे ज्यादा एक करोड़ ख्0 लाख रुपए का काम हो रहा है। वहीं जब पार्षद से उनके वार्ड में सबसे ज्यादा हुए विकास कार्य के बाबत पूछा गया तो उन्होंने कहा नगर निगम के आंकड़ों पर न जाएं। ये आंकड़ें पूरी तरह फर्जी हैं। ये आंकड़े नहीं बल्कि झूठ का पिटारा है। पार्षद का कहना है कि उनके वार्ड में एक नहीं बल्कि तीन-तीन नामित पार्षद जुड़े हुए हैं। डेवलपमेंट बजट में जोड़ा गया ज्यादातर कार्य नामित पार्षदों के संस्तुति पर ही कराया जा रहा है, जिसका लाभ आम जनता को कम, व्यक्ति विशेष को प्रमुख रूप से मिलना है। इसके अलावा कुंभ मेले में कराए गए कार्यो के बजट को भी पब्लिक को भरमाने के लिए मेरे वार्ड के डेवलपमेंट बजट में दिखा दिया गया है। जबकि मेरा वार्ड डेवलपमेंट में सबसे पीछे है। अगर डेवलपमेंट की हकीकत देखनी है तो छोटा बघाड़ा आ जाइए, खुद पता चल जाएगा कि नगर निगम ने कितना धन खर्च किया है।

वार्ड नंबर-क्ब्

आबादी- ब्0 से भ्0 हजार

एरिया- एलनगंज, प्रयाग स्टेशन, करनपुर, चर्चलेन, रामप्रिया रोड, जवाहरगंज, ढरहरिया व छोटा बघाड़ा

सात से आठ लाख का ही हुआ काम

अगर आम पब्लिक से जुड़े वास्तविक डेवलपमेंट कार्य की बात करें तो पार्षद कोटे के बराबर यानी आठ लाख रुपये का ही काम हुआ है। छोटा बघाड़ा मोहल्ले में 90 प्रतिशत गली व नाली काफी गड़बड़ है। नाली का पानी रोड पर जमा रहता है।