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LUCKNOW : स्वास्थ्य विभाग ने अलर्ट जारी करते हुए प्रदेश के सभी मुख्य चिकित्सा अधिकारियों और अस्पतालों के मुख्यचिकित्सा अधीक्षकों को निर्देश जारी किए हैं। साथ ही कहा है कि राजस्थान से आने वाले सभी लोगों की स्क्रीनिंग की जाए। इसके लिए एयरपोर्ट अथॉरिटी को भी दिशा निर्देश जारी कर मरीजों की समय से पहचान करने को कहा गया है। केजीएमयू बना नोडल सेंटर स्वास्थ्य महकमे के संक्रामक रोग महकमे की ओर से जीका वायरस से संक्रमण के लक्षण, जांच का तरीका, इलाज केदिशा-निर्देश हुए जारी किए हैं, जिससे संदिग्ध मरीजों को आसानी से पहचाना जा सके। निर्देश में एयरपोर्ट अथॉरिटी से कहा गया है कि जयपुर या अन्य जीका वायरस से प्रभावित प्रदेशों या देशों से

लक्षण मिलने पर मरीज की केजीएमयू में जांच की जाए
केजीएमयू को वायरस की जांच के लिए नोडल सेंटर बनाया गया है। केजीएमयू में अपेक्स लैबोरेटरी में जांच की जा सकती है।  गर्भवती को खतरा अधिक स्वास्थ्य महकमे के संचारी रोग विभाग की निदेशक डॉक्टर मिथलेश चतुर्वेदी ने बताया कि जीका वायरस से संक्रमित लोगों में डेंगू बुखार की तरह ही लक्षण होते हैं। बुखार, जोड़ों का दर्द, शरीर पर लाल चकत्ते, थकान, सिर दर्द, आंखों का लाल होना जैसी समस्याएं होती हैं। वायरस से गर्भवती महिलाओं के संक्रमित होने की संभावना रहती है। इसके ग्रसित होने के कारण बच्चे जन्म से ही आकार में छोटे और अविकसित दिमाग के होते हैं। ये स्थिति गर्भावस्था में जीका वायरस के संक्रमण से होती है। बच्चे में जन्मजात अंधापन, बहरापनहो सकता है और उसके नर्वस सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है जिससे बच्चे में लकवा होने की संभावना अधिक होती है। मरीजों को पैरासीटामाल देकर घर पर ही आराम करने की सलाह दी जाती है।

मच्छरों से फैलता है जीका
डेंगू, मलेरिया और चिकुनगुनिया की तरह ही जीका वायरस भी मच्छरों से ही फैलता है। यह भी मुख्यत: एडीज नाम के मच्छर से फैलता है। यह दिन में भी एक्टिव रहता है। मच्छर के माध्यम से ही बीमारी एक मरीज से दूसरे में फैलती है इसलिए ऐसे मरीजों से थोड़ा अलग रहें। यदि यह मच्छर किसी जीका वायरस संक्रमित वाले व्यक्ति को काट लेता है तो वायरस मच्छर के खून में पहुंच जाता है। जब यह मच्छर किसी स्वस्थ्य व्यक्ति को काटता है तो उसे बीमारी हो जाती है।

जीका वायरस से घबराने की जरूरत नहीं है, लेकिन इसे फैलने से रोकने के लिए सीएमओ, सीएमएस को निर्देश जारी किए गए हैं।
डॉक्टर मिथलेश चतुर्वेदी, निदेशक, संक्रामक रोग

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