-सावधानियां बरतें तो डेंगू से बनाई जा सकती है दूरी
-घर पर और घरेलू उपायों से भी किया जा सकता है इलाज
यह भी जानें -
-डेंगू, चिकनगुनिया और जीका तीनों बुखार केवल एडिस नाम के एक ही मच्छर के काटने से ही फैलता है।
-एडिस मच्छर केवल वायरस ट्रांसमिट करता है।
-मलेरिया एनॉफिलीस नाम के मच्छर से फैलता है।
-एलाइजा टेस्ट किसी एक मरीज का न होकर कई 50 से 100 मरीजों का एक साथ किया जाता है।
-एक ही मरीज को डेंगू और चिकनगुनिया दोनों बुखार एक साथ भी हो सकते हैं।
-इंडिया में डेंगू और चिकनगुनिया की कोई वैक्सीन नहीं, बल्कि पैरासिटामोल ही उपचार है।
-सर्दी आते ही डेंगू का मच्छर अपने आप खत्म हो जाता है।
-डेंगू और चिकनगुनिया का शिकार बूढ़े और बच्चे सबसे अधिक होते हैं।
-बॉडी की रोग प्रतिरोधक क्षमता डाउन होने पर डेंगू असर करता है।
ऐसे होता है बुखार
दरअसल, वायरस मच्छर के डंक में नहीं, बल्कि उसकी लार में होता है। मच्छर काटने से पूर्व शरीर पर लार छोड़ता है, जिसके बाद उस जगह अपना डंक गाड़ता है। काटने के बाद मच्छर जैसे ही डंक बाहर निकालता है बाहर मौजूद लार शरीर के अंदर प्रवेश कर जाती है। फिर यही बीमारी का कारण बनती है।
जमकर पिए पानी
-डॉक्टर्स की मानें तो किसी भी बुखार के दौरान बॉडी में पानी की कमी हो जाती है। ऐसे में कोई भी वायरस बॉडी को उतनी ही जल्दी चपेट में लेता है। इसके लिए जमकर पानी पिएं। अधिक से अधिक मात्रा में लिक्विड, जूस, मठ्ठा आदि पिएं। इससे कोई भी टॉक्सिन यूरिन के साथ बॉडी से बाहर निकल जाता है। इससे बॉडी बीमारी से दूर रहती है।
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देशी उपायों से करें उपचार
-घर की खिड़की आदि में तुलसी का पौधा लगाने से मच्छरों से बचाव होता है।
-नीम की सुखी पत्तियों एवं कपूर की घर में धूणी करने से मच्छर मर जाते हैं या कोने एवं पदरें आदि के पीछे छिपे हुए मच्छर घर के बाहर भाग जाते हैं।
-नीम, तुलसी, गिलोय, पिप्पली, पपीते की पत्तियों का रस, गेंहू के च्वारों का रस व आँवला बहुत उपयोगी है। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढती है तथा डेंगू के वायरस से मुकाबला करने की ताकत आती है।
-25 ग्राम ताजी गिलोय का तना लेकर कूट लें , 4 व 5 तुलसी के पत्ते एवं 2 व 3 काली मिर्च पीसकर 1 लीटर पानी में उबालें। यह काढ़ा डेंगू, स्वाइन फ्लू एवं चिकन गुनिया जैसे वायरल इन्फेक्शन से बचाने में बहुत उपयोगी है।